पटना: आमतौर पर 97 साल की उम्र आराम करने या पोते-पोतियों को कहानियां सुनाने की मानी जाती है, लेकिन इस उम्र में अगर कोई छात्र का जीवन व्यतीत करे तो आपको आश्चर्य होगा. पटना के राजेंद्र नगर रोड नंबर पांच में रहने वाले राजकुमार वैश्य को इस उम्र में भी एमए करने का जुनून है. एमए के प्रथम वर्ष की परीक्षा पास कर वे दूसरे वर्ष की परीक्षा दे रहे हैं.


इस उम्र में भी वैश्य नालंदा ओपेन यूनिवर्सिटी की परीक्षा में लगातार तीन घंटे तक अर्थशास्त्र के सवालों के जवाब लिखते हैं. इस दौरान उनकी बूढ़ी और कमजोर हो चुकी हड्डियां भले ही जवाब देने लगती है, लेकिन अपने जूनून के कारण वैश्य सभी प्रश्नों का जवाब देकर ही मानते हैं.


उन्होंने कहा, "मैंने सोचा कि लोगों को दिखाया जाए कि अगर हौसला हो तो उम्र किसी काम के भी आड़े नहीं आती. इस पढ़ाई के जरिए युवाओं को भी बता रहा हूं कि कभी हार नहीं माननी चाहिए."


बुजुर्ग छात्र राजकुमार आज भी चार से पांच घंटे करते हैं पढ़ाई
वैश्य का जन्म 1920 में उत्तर प्रदेश के बरेली में हुआ था. मैट्रिक और इंटर की परीक्षा उन्होंने बरेली से ही  साल 1934 और साल 1936 में पास की थी. इसके बाद उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से 1938 में ग्रेजुएशन की परीक्षा पास की और यहीं से कानून की भी पढ़ाई की. इसके बाद झारखंड के कोडरमा में नौकरी लग गई. कुछ ही दिनों बाद उनकी शादी हो गई.


वैश्य ने बताया, "वर्ष 1977 में सेवानिवृत्त होने के बाद मैं बरेली चला गया. घरेलू काम में व्यस्त रहा, बरेली में रहे, बच्चों को पढ़ाया, लेकिन अब वह अपने बेटे और बहू के साथ रहते हैं. लेकिन एमए की पढ़ाई करने की इच्छा खत्म नहीं हुई."


एक दिन उन्होंने अपने दिल की बात अपने बेटे और बहू को बताई. बेटे प्रोफेसर संतोष कुमार और बहू भारती एस. कुमार दोनों प्रोफेसर की नौकरी से सेवानिवृत्त हो चुके हैं.


नालंदा विश्वविद्यालय ने घर आकर की  नामांकन की औपचारिकता पूरी
वैश्य के पुत्र संतोष कुमार कहते हैं, "पिताजी ने एमए करने की इच्छा जताई थी, तब नालंदा खुला विश्वविद्यालय से संपर्क किया था और उनका नामांकन हुआ था. विश्वविद्यालय प्रशासन ने खुद घर आकर पिताजी के नामांकन की औपचारिकताएं पूरी की थी."


उन्होंने बताया कि पिताजी ने प्रथम वर्ष की परीक्षा अच्छे अंकों से पास की. अभी दूसरे साल की परीक्षा दे रहे हैं. संतोष उन्हें परीक्षा दिलवाने के लिए ले जाते हैं फिर घर लाते हैं.


पढ़ने लिखने और सीखने की कोई उम्र नहीं होती
प्रोफेसर भारती एस. कुमार कहती हैं, "यह परीक्षा न केवल उनके सपनों को पूरा कर रहा है, बल्कि यह संदेश भी है कि पढ़ने-लिखने और जानने-सीखने की कोई उम्र नहीं होती."


इधर, वैश्य को पूर्ण विश्वास है कि एमए की परीक्षा वह जरूर पास कर जाएंगे.


Education Loan Information:

Calculate Education Loan EMI