जब कभी भी गांवों की बात आती है तो सबसे पहले प्रधान का जिक्र होता है. लेकिन क्या आपको पता है मध्यप्रदेश में गांव प्रधानों को महीने के कितने रुपये मिलते हैं? अगर नहीं तो आज हम आपको बताते हैं साथ ही ये भी बताएंगे कि 8वें वेतन आयोग के बाद उनकी सैलरी में क्या बदलाव आएगा, आइए जानते हैं...

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तमाम रिपोर्ट्स की मानें तो मध्य प्रदेश में गांव प्रधान यानि सरपंच को 4250 रुपये प्रतिमाह के हिसाब से दिए जाते हैं, ये मानदेय होता है. गांव प्रधान की जिम्मेदारियों की बात की जाए तो उनमें मनरेगा, समेत गांव में विकास कार्य कराना है. ग्राम पंचायत के पास अपने क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण अधिकार होते हैं. वे सार्वजनिक सड़कों, पुलों और जलमार्गों के निर्माण और रखरखाव का काम कर सकते हैं. इसके अलावा वे लघु सिंचाई योजनाएं शुरू कर सकते हैं. ग्राम पंचायत यह भी सुनिश्चित करती है कि सार्वजनिक सड़क पर लगी झाड़ियां या पेड़ों की डालों को काटा जाए ताकि सड़क सुरक्षित और साफ-सुथरी रहे.

अब 8वें वेतन आयोग की बात करें तो इसके लागू होने के बाद ग्राम प्रधानों के वेतन में कोई अंतर नहीं आएगा. उन्हें जितना मानदेय दिया जा रहा है, उतना ही रहेगा. हालांकि यदि राज्य सरकार मानदेय में बढ़ोत्तरी करती है तो उनके मासिक वेतन में इजाफा होगा.

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कैसे होता है चुनाव?

दरअसल, पंचायत चुनाव तीन स्तरों पर आयोजित किए जाते हैं, जिनमें पहला स्तर ग्राम पंचायत का होता है. इसी स्तर पर गांव की जनता सीधे अपने ग्राम प्रधान का चुनाव करती है. ग्राम प्रधान के लिए आम चुनाव होते हैं और इसमें किसी राजनीतिक पार्टी का सीधे हस्तक्षेप नहीं होता. गांव के लोग स्वतंत्र रूप से अपने प्रधान का चयन करते हैं. यदि प्रधान का पद खाली हो जाता है, तो आमतौर पर फिर से सीधे मतदान के माध्यम से नया प्रधान चुना जाता है. लेकिन अगर प्रधान का पद छह माह से कम समय के लिए खाली होता है

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