IIM Ahmedabad First Visually Impaired Scholar Varun: मन में अगर कुछ करने का ज्वलंत जज्बा हो तो किसी भी तरह की रुकावट आड़े नहीं आ सकती. कोई समस्या, कोई कमी, कोई अभाव सफलता की राह में रोड़ा नहीं अटका सकता. इसका जीता-जागता उदाहरण हैं तरुण कुमार वशिष्ठ. तरुण आईआईएम अहमदाबाद से पीएचडी पूरी करने वाले पहले विजुअल इम्पेयर्ड स्कॉलर हैं. जब से आईआईएम में (साल 1971) से ये डिग्री दी जा रही है, तब से पहली बार किसी दृष्टिबाधित कैंडिडेट ने न केवल पीएचडी प्रोग्राम में इनरोल कराया बल्कि सफलतापूर्वक उसे पूरा भी किया.


अब दूसरे स्टूडेंट्स को पढ़ाएंगे


टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक आईआईएम अहमदाबाद से पीएचडी पूरी करने के बाद तरुण अब आईआईएम बोधगया में फैकल्टी के पद पर काम करेंगे. अगले महीने वो असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर ज्वॉइन करेंगे और इस प्रकार उन्होंने एक और रिकॉर्ड अपने नाम किया है जहां एक विजुअली इम्पेयर्ड कैंडिडेट ‘नॉन-डिसएबल्ड’ इंस्टीट्यूशन में पढ़ाएगा.


जन्म से नहीं देख सकते


तरुण वशिष्ठ उत्तराखंड के हैं जन्म से ही दृष्टिबाधित हैं. वे कहते हैं कि वे खुद को लकी मानते हैं कि उनका जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ जहां सभी लोग काफी सपोर्टिव थे. घर का वातावरण भी काफी अच्छा था. उनकी स्कूलिंग सामान्य स्कूल से ही हुई. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि तरुण ने वो विषय भी पढ़े (जैसे मैथ्स) जो ऐसे कैंडिडेट्स के द्वारा सामान्यता नहीं चुने जाते.


आईआईटी रुड़की में हुआ चयन


बीएससी की डिग्री पूरी होने के बाद तरुण ने जनरल कैटेगरी में आईआईटी रुड़की का एंट्रेंस एग्जाम पास किया. वे इंटरव्यू के लिए बुलाए गए पर उन्हें यहां ये कहकर रिजेक्ट कर दिया गया कि वे पढ़ाई की जरूरतों को पूरा नहीं कर पाएंगे.


आईआईएम अहमदाबाद आए


आईआईटी रुड़की से रिजेक्ट होने के बाद तरुण ने हिम्मत नहीं हारी और आईआईएम अहमदाबाद के डॉक्टोरल प्रोग्राम में साल 2018 में इनरोल कराया. यहां से इस कैटेगरी में पीएचडी की डिग्री लेने वाले वे पहले कैंडिडेट हैं. ये एक नया अनुभव था उनके लिए भी और इंस्टीट्यूट के लिए भी. 


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