ICSE Board Students Can Choose To Opt-Out From Pending Board Exams: आईसीएसई और आईएससी स्टूडेंट्स चाहें तो पेंडिंग बोर्ड परीक्षाएं न देने का ऑप्शन चुन सकते हैं. यह नियम दसवीं और बारहवीं दोनों कक्षाओं के स्टूडेंट्स के लिये समान रूप से लागू होता है. दरअसल बॉम्बे कोर्ट में सुनवाई के दौरान बोर्ड ने यह विकल्प रखा है. अगर स्टूडेंट्स परीक्षा न देने का विकल्प चुनते हैं तो उन्हें इंटर्नल ऐसेसमेंट या फिर प्री-बोर्ड के अंकों के आधार पर पास कर दिया जाएगा. वे क्या करना चाहते हैं ये स्टूडेंट का अपना निर्णय होगा. हालांकि जो स्टूडेंट्स परीक्षा न देने का चुनाव करते हैं, उन्हें 22 जून तक इस बाबत सूचना देनी होगी.


आपकी जानकारी के लिये बता दें कि आईसीएसई और आईएससी बोर्ड एग्जाम्स मार्च में आयोजित होने थे लेकिन कोविड की वजह से परीक्षाएं स्थगित करनी पड़ी. उस समय स्थिति तब भी नियंत्रण में थी लेकिन अब लॉकडाउन हटने के बाद से कोविड के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. ऐसे में पैरेंट्स अपने बच्चों को परीक्षा के लिये नहीं भेजना चाहते.

पिटीशन हुई थी दाखिल –

दरअसल बॉम्बे हाई कोर्ट में वहां के एक नागरिक ने पिटीशन दाखिल की है, जिसमें आईसीएसई के उस फैसले को चैलेंज किया गया है, जिसमें 02 जुलाई से पेंडिंग बोर्ड परीक्षाएं आयोजित करने की बात कही गयी है. उन्होंने पिटीशन में महाराष्ट्र में परीक्षा न कराने की बात कही थी क्योंकि वहां सबसे ज्यादा कोविज केसेस हैं. महाराष्ट्र में 226 आईसीएसई बोर्ड स्कूल्स हैं, जिनमें से कुल 23,247 स्टूडेंट्स को प्रस्तावित परीक्षा में बैठना है. महाराष्ट्र सरकार का भी कहना था कि वर्तमान हालातों में परीक्षा कराना उचित नहीं.

इस बारे में बोर्ड ने अपना स्टैंड लेते हुये कहा है कि सभी आईसीएसई बोर्ड के स्कूलों को इस बाबत नोटिफाई किया जाएगा ताकि वे क्लास 10 और 12 के स्टूडेंट्स से उनकी च्वॉइस पूछें कि वे परीक्षा देना चाहते हैं या इंटर्नल एसेसमेंट के आधार पर अंक पाना चाहते हैं. अपनी च्वॉइस बताने के लिए अंतिम तिथि 22 जून 2020 है.

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