How To Handle Board Exam Result Stress: बिहार बोर्ड को छोड़कर अभी लगभग सभी बोर्ड्स की परीक्षाएं चल रही हैं. बिहार बोर्ड हमेशा की तरह सबसे पहले परीक्षाएं आयोजित करता है और सबसे पहले रिजल्ट रिलीज करता है. इसी क्रम में बच्चे एग्जाम प्रेशर से तो मुक्ति पा चुके हैं लेकिन कुछ बच्चों को रिजल्ट की चिंता सताने लगती है. इधर पेपर खत्म नहीं हुए उधर उन्हें परिणाम का तनाव होने लगता है. कुछ स्टूडेंट्स को जहां रिजल्ट की तारीख पास आने के बाद डर लगता है तो कुछ पहले से ही घबराने लगते हैं. आज जानते हैं इससे बचने के उपाय.


पेपर लेकर मार्क्स कैलकुलेट करना बंद कर दें


परीक्षाएं खत्म हो चुकी हैं तो कुछ दिन पूरी तरह तनाव मुक्त होकर रहें. कुछ स्टूडेंट्स में आदत होती है कि वे पेपर लेकर बैठ जाते हैं और बार-बार मार्क्स कैलकुलेट करते हैं, इस आदत से बचें. आपको जो करना था वो हो चुका है. अब मार्क्स बार-बार गिनने से कुछ नहीं होगा. इससे केवल आपका तनाव बढ़ेगा. आपके मार्क्स बहुत सी बातों पर निर्भर करते हैं, यहां केवल कैलकुलेशन काम नहीं आएगा.


आगे की सुध लें


जो होना था हो चुका है. परीक्षा देने के बाद आपको एक मोटा अंदाजा हो जाता है कि परिणाम कैसा होगा. अगर ये ठीक नहीं है तो इसका रोना लेकर न बैठें. ये सोचें कि क्या करके इस कमी को पूरा किया जा सकता है. जैसे आगे कोई और परीक्षा देनी है या कोई कोर्स करना है तो कुछ दिन का ब्रेक लेने के बाद उस पर फोकस करें. जो हो चुका है और अगर ठीक नहीं हुआ है तो उसे जाने दें, उसके चक्कर में आगे की चीजें खराब न करें.


स्किल्स डेवलेप करें


अगर आप दसवीं में हैं तो आपके पास अभी सुधार का पूरा चांस है. अगर बारहवीं के पेपर दिए हैं तो सीयूईटी यूजी के रूप में एक और मौका है. इसलिए बोर्ड एग्जाम के नंबरों का तनाव न लेते हुए आगे की तैयारी करें. इसी तरह आप पढ़ाई के अलावा जिन क्षेत्रों में अच्छे हों, उनमें अपनी स्किल्स को निखारने पर काम करें. उससे संबंधित कोई छोटा-मोटा कोर्स करना हो तो कर लें, कोई ऑनलाइन क्लास ज्वॉइन करनी हो तो वो कर लें. ये आगे बहुत काम आता है.


खाली न बैठें


कुछ दिन आराम करने या मौज मस्ती करने के बाद खुद को किसी ऐसे काम में इंगेज कर लें जहां आपका दिमाग प्रोडक्टिव बने. खाली बैठेंगे तो रिजल्ट से लेकर बाकी फालतू बातों के बारे में ज्यादा सोचेंगे. किसी कोर्स या हॉबी क्लास या स्पोर्ट्स या किसी भी चीज में इनरोल करा लें और बाकी का समय भी अपनी स्किल्स को पैना करने में खर्च करें. इस समय को प्लान करके बेहतरीन तरीके से यूटिलाइज करें न की रिजल्ट की चिंता में सिर खपाएं.


पैरेंट्स न टोकें बार-बार


जैसे-जैसे दूसरे बच्चों के नतीजे आना शुरू होते हैं, पैरेंट्स अपने बच्चों को लेकर परेशान होने लगते है. सबसे पहले तो खुद को रिजल्ट के स्ट्रेस से दूर रखें ताकि बच्चे पर ये अनचाहा प्रेशर न आए. उससे बार-बार इस बारे में बात न करें बल्कि अगर वो आपको परेशान दिखे तो उसे मोटिवेट करें. समझाएं कि नतीजों को लेकर तनाव न ले. जो भी हो आप हमेशा उसके साथ हैं. आजकल इतने विकल्प खुल गए हैं कि एक पेपर या एक क्लास में अच्छे मार्क्स न आने से दरवाजे बंद नहीं होते बल्कि तमाम और ऑप्शन हैं जिनमें से चुनाव किया जा सकता है. पैरेंट्स का पॉजिटिव माइंडसेट बच्चे को बहुत संबल देता है. 


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