How To Handle Board Exam Pressure: बहुत से बोर्ड की परीक्षाएं शुरू हो गई हैं और कुछेक की होने वाली हैं. ऐसे में कई बार देखा गया है कि स्टूडेंट्स का कोई एक या दो पेपर खराब हो जाता है तो उनका पढ़ाई से मन उचट जाता है. वे उस बिगड़े पेपर के तनाव में आगे के पेपर भी ठीक से नहीं दे पाते. अगर ऐसा आपके साथ भी होता है तो परेशान न हों और कुछ टिप्स की मदद से इस स्ट्रेस से निकलने का प्रयास करें. देखते हैं इस मुद्दे पर एक्सपर्ट्स की क्या राय है.


सबसे खास व्यक्ति से हो बातचीत


इस संबंध में बात करते हुए क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. आराधना गुप्ता कहती हैं कि हर बच्चे की जिंदगी में कोई न कोई ऐसा जरूर होता है जिसे वो बहुत इंपॉर्टेंस देता है. ऐसे समय में सभी लोग मिलकर उसे कंसोल न करें बल्कि उस खास व्यक्ति या एक्सपर्ट की मदद लें. उसके माध्यम से कही गई बात बच्चे को जल्दी और अच्छे से समझ आएगी. बच्चे को बताएं कि एक पेपर या एक बोर्ड एग्जाम जिंदगी का अंत नहीं है. अभी खुद को साबित करने के बहुत मौके मिलेंगे. पढ़ाई के अलावा भी बहुत सी फील्ड्स हैं जहां वो खुद को साबित कर सकता है. उसके मनपसंद व्यक्ति द्वारा कही गई बात का बच्चे पर अच्छा असर पड़ता है.


और घाटे का सौदा न बनाएं


बच्चे और पैरेंट्स दोनों के लिए ये समझना जरूरी है कि बोर्ड एग्जाम का तनाव, या एक पेपर खराब होने का तनाव आपको बहुत सारे क्षेत्रों में नुकसान पहुंचा सकता है. इसलिए पहले तो ये समझ लें कि आपको एक पेपर की टेंशन लेकर अपनी हेल्थ से लेकर बाकी पेपर खराब करके इस सौदे को और घाटे का बना देना है या इसे कवरअप करना है.


बच्चा अगर एंग्जाइटी में रहेगा तो दिमाग फॉगी हो जाएगा और सोचने, पढ़ने की क्षमता पर विपरीत असर पड़ेगा. इससे जिन पेपरों में अच्छा कर सकता है, उसके चांस भी कम हो जाएंगे. एंग्जाइटी जब ज्यादा लंबे समय रहती है तो डाइजेस्टिव सिस्टम पर असर डालती है जो स्लीप पैटर्न को बिगाड़ता है. इस तरह पेट से लेकर नींद तक सब खराब होते हैं. साफ तौर पर कहें तो एक पेपर खराब होने का तनाव बहुत महंगा पड़ सकता है इसलिए जितनी जल्दी हो सके इसे भूलकर आगे बढ़ें और बाकी पेपरों पर ध्यान दें.


ऐसे करें खुद को मोटिवेट


ये तो हम सभी जानते हैं कि जो हो गया उसे बदला नहीं जा सकता, इसलिए खुद से कहें कि आप क्या चुनना पसंद करेंगे पुरानी बातों पर रोना या नये की तैयारी करना. बिगड़े पेपर को तनाव का विषय भी बनाया जा सकता है और मोटिवेशन का भी. आप इसे ऐसे भी ले सकते हैं कि जो हुआ सो हुआ अब आगे बेहतरीन करेंगे. इस मोटिवेशन के साथ आगे बढ़ें. ये भी जान लें कि हो सकता है जो पेपर आपके अनुसार ठीक नहीं हुआ उसमें मार्किंग लीनिएंट हो जाए. पॉजिटिव अप्रोच के साथ आगे बढ़िए और मन में ये बिठा लीजिए कि एक पेपर दुनिया का अंत नहीं होता. आपके पास अभी बहुत मौके हैं जहां आप एक्सेल कर सकते हैं. एक एग्जाम आपकी परख नहीं कर सकता. 


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