Mumbai Crime News: मुंबई क्राइम ब्रांच के साइबर पुलिस अधिकारियों, ने एक इंटरनेशनल लोन ऐप फ्रॉड रैकेट का भंडाफोड़ किया है. इस गिरोह में कम से कम दस चीनी नागरिक शामिल थे और वे क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल करके भारत से मनी लॉन्ड्रिंग के लाभार्थी थे. साइबर पुलिस, ने देशभर से ऐसे 14 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इस बाबत पुलिस ने कहा कि आरोपी 2018 से धोखाधड़ी कर रहे थे और पीड़ितों की संख्या 1,000 से ज्यादा हो सकती है और चोरी की गई कुल धनराशि कई सौ करोड़ रुपये हो सकती है.


आरोपी  कैसे करते थे पैसे ट्रांसफर
शुक्रवार को एक प्रेस कॉंफ्रेंस को संबोधित करते हुए, मुंबई पुलिस के संयुक्त आयुक्त (अपराध) सुहास वारके ने कहा, “आरोपी ने 360 से ज्यादा बैंक खाते और 200 से ज्यादा शेल कंपनियों को अवैध रूप से कमाए गए धन को निकालने के लिए खोली थी. आरोपियों ने पैसे ट्रांसफर करने के लिए 50 से अधिक क्रिप्टो करेंसी वॉलेट अकाउंट का इस्तेमाल किया था."


कई बैंक अकाउंट किए गए फ्रीज
वहीं पुलिस उपायुक्त (साइबर) हेमराज सिंह राजपूत ने बताया कि, “हमने कई बैंक खातों को फ्रीज कर दिया है और 14 करोड़ रुपये वसूल किए हैं. अन्य 2.17 लाख यूएसडीटी क्रिप्टोक्यूरेंसी वॉलेट में पाए गए है. हमने 39 फोन, 211 सिम कार्ड, 19 लैपटॉप और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान भी जब्त किए हैं जिनका इस्तेमाल अपराध को अंजाम देने के लिए किया गया था.”पुलिस ने बताया कि आरोपियों ने गूगल प्लेस्टोर पर डिजिटल लोन ऐप अपलोड किए थे या उन्हें सीधे टेक्स्ट या व्हाट्सएप मैसेज के जरिए पीड़ितों को भेजा था. वे कम से कम 37 फर्जी लोन ऐप का इस्तेमाल कर रहे थे और 200 अन्य लोन ऐप जांच के दायरे में हैं.


कैसे पीड़ितों से ठगी करते थे आरोपी
पुलिस ने बताया कि आरोपी कुछ हजार रुपये उधार देते समय पीड़ितों की तस्वीरें, कॉन्टेक्ट लिस्ट जैसी पर्सनल डिटेल एक्सेस कर लेते थे और बाद में उनकी तस्वीरों को अश्लील तस्वीरों के साथ मॉर्फ करके और उनकी कॉनटेक्ट लिस्ट में सभी को भेजकर लोन राशि से कहीं ज्यादा पैसा वसूल करते थे. आरोपी कर्जदारों के साथ-साथ उनके परिवार और दोस्तों को भी फोन करते थे और उनके साथ गाली-गलौज भी करते थे.क्राइम ब्रांच की साइबर पुलिस ने मई 2022 में मलाड में "लोन वसूली एजेंटों" के  उत्पीड़न के बाद एक कर्जदार की आत्महत्या के मामले की जांच शुरू की थी. दो महीने तक चली जांच के बाद पुलिस को पता चला कि इस पूरे खेल के मास्टरमाइंड चीनी नागरिक हैं. इन्होंन इन कंपनियों के निदेशक के रूप में भारतीयों के साथ शेल कंपनियां बनाई थीं. आरोपियों ने उन युवाओं को भी काम पर रखा था जिन्हें नौकरी की जरूरत थी.


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