BBC Documentry Row in Kolkata University: कोलकाता में शुक्रवार को स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय में प्रतिबंधित बीबीसी डॉक्यूमेंट्री "इंडिया: द मोदी क्वेश्चन" की स्क्रीनिंग की. हालांकि बीच में बिजली भी चली गई थी. बाद में सप्लाई चालू की गई. अचानक बिजली कटौती से स्क्रीनिंग बंद हो गई थी. बिजली कटौती की वजह पूछने के लिए छात्र विश्वविद्यालय के डीन के कार्यालय के बाहर पहुंच गए और नारेबाजी करने लगे. मिली जानकारी के मुताबिक, कोलकाता के जादवपुर विश्वविद्यालय में भी छात्र संघ आइसा ने स्क्रीनिंग रखी थी. यहां क्यूमेंट्री देखने के लिए करीब 100 छात्र शामिल हुए थे. वहीं, शिक्षकों ने भी डॉक्यूमेंट्री देखी. 


डॉक्यूमेंट्री को विश्वविद्यालय परिसर के भीतर बैडमिंटन कोर्ट में दिखाया गया था और इस कार्यक्रम का आयोजन सीपीआई-एम के छात्रों के विंग स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) द्वारा किया गया था. पता चला है कि शुक्रवार दोपहर बाद बड़ी संख्या में लोगों की मौजूदगी में स्क्रीनिंग शुरू हुई. हालांकि, स्क्रीनिंग शुरू होने के करीब 30 मिनट के बाद अचानक बिजली कनेक्शन काट दिया गया, जिससे स्क्रीनिंग बंद हो गई.



एसएफआई कार्यकर्ताओं ने कही ये बात


एसएफआई कार्यकर्ताओं ने कहा कि राज्य सरकार के निर्देश के बाद जानबूझकर विश्वविद्यालय के अधिकारियों द्वारा बिजली कनेक्शन काट दिया गया था. इस घटनाक्रम के बाद एसएफआई कार्यकर्ताओं ने परिसर के भीतर विरोध प्रदर्शन किया और विश्वविद्यालय के अधिकारियों और राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की. एसएफआई के राष्ट्रीय महासचिव मयूख विश्वास ने कहा कि पीयू की घटना से साबित होता है कि छात्र विरोधी रवैए के मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक ही रास्ते पर चल रहे हैं.



बिस्वास ने कहा, "दिल्ली पुलिस के निर्देशों के बाद नई दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) परिसर में बिजली कनेक्शन काट दिया गया. प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय के मामले में भी यही हुआ." उन्होंने दावा किया कि डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग के बारे में पीयू के अधिकारियों को एक ईमेल के जरिए पहले ही सूचित कर दिया गया था. बिस्वास ने कहा, "प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय राज्य सरकार का विश्वविद्यालय है और इसलिए यह नहीं माना जा सकता कि राज्य सरकार की अनुमति के बिना बिजली काटी गई." जब तक रिपोर्ट दर्ज की गई थी, तब तक इस गिनती पर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई थी. गुरुवार शाम को जादवपुर विश्वविद्यालय में उसी डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग की गई, जो बिना किसी बाधा के चली.



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