पिछले कुछ सालों के दौरान दुनिया की आर्थिक वृद्धि (Global Growth) प्रभावित हुई है. हालिया सालों में वैश्विक अर्थव्यवस्था (Global Economy)  ने कोरोना महामारी, आपूर्ति श्रृंखला की समस्याएं, चिप की कमी और रूस-यूक्रेन युद्ध जैसी समस्याओं का सामना किया है. अभी वैश्विक आर्थिक मंदी (Global Economic Recession) का खतरा सिर पर है. ऐसे में अर्थव्यवस्था और आर्थिक वृद्धि का समीकरण भी बदला है.


भारत से भी पिछड़ा अमेरिका


एक समय था, जब अकेले अमेरिका पूरी दुनिया की आर्थिक वृद्धि की दशा व दिशा तय करता था. अब हालात पूरी तरह से बदल चुके हैं. अभी स्थिति है कि ग्लोबल ग्रोथ में योगदान देने के मामले में भारत भी अमेरिका को पछाड़ चुका है. अभी दुनिया की आर्थिक प्रगति को आगे बढ़ाने में भारत का योगदान सिर्फ एक देश से कम है.


सबसे ज्यादा चीन का योगदान


दी वर्ल्ड रैंकिंग के हालिया ट्वीट के अनुसार, आने वाले सालों में भी यह ट्रेंड बरकरार रहने वाला है. उसके अनुसार, साल 2023 से 2028 के दौरान दुनिया की आर्थिक तरक्की में सबसे ज्यादा 22.6 फीसदी का योगदान चीन का रहेगा. वहीं अगले पांच सालों के दौरान वैश्विक अर्थव्यवस्था में दूसरा सबसे ज्यादा योगदान देगा. इन पांच सालों में ग्लोबल ग्रोथ में भारत की हिस्सेदारी 12.9 फीसदी रहने का अनुमान है.


अमेरिका का योगदान कम होकर 11.3 फीसदी रह जाएगा. इस तरह वैश्विक आर्थिक वृद्धि में योगदान देने के मामले में अमेरिका का नंबर चीन और भारत के बाद आएगा. वहीं इंडोनेशिया 3.6 फीसदी योगदान देकर चौथे स्थान पर रहेगा.


सिर्फ 4 देशों का योगदान इतना


इन आंकड़ों में एक और दिलचस्प बात उभर कर सामने आती है. टॉप के सिर्फ चार देश ही अगले पांच साल के दौरान ग्लोबल ग्रोथ में 50 फीसदी से ज्यादा योगदान देंगे. चीन, भारत, अमेरिका और इंडोनिशिया मिलकर वैश्विक आर्थिक वृद्धि में 50.4 फीसदी का योगदान देंगे. इनमें भी सिर्फ 3 देशों का योगदान ही डबल डिजिट में यानी 10 फीसदी से ज्यादा रहने वाला है.


सिमट रहीं विकसित अर्थव्यवस्थाएं


दुनिया की कई विकसित अर्थव्यवस्थाओं के लिए आने वाले साल मुश्किलों भरे रहने वाले हैं. ये देश पिछले कई सालों से आर्थिक वृद्धि के मोर्चे पर संघर्ष कर रहे हैं. इस कारण यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी का योगदान सिमटकर तुर्की के बराबर यानी 2.1 फीसदी रह जाएगा. वहीं जापान का योगदान कम होकर 1.8 फीसदी रह जाएगा. दो अन्य प्रमुख यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं ब्रिटेन और फ्रांस का योगदान डेढ़-डेढ़ फीसदी पर सिमट जाने का अनुमान है.


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