भारत के नियंत्रक व महालेख परीक्षक CAG ने UIDAI की तरफ से आधार कार्ड को लेकर सवाल उठाएं गए हैं. CAG ने कहा कि कई ऐसी शिकायतें देखने को मिली हैं जहां सालों साल बाद भी आधार कार्ड धारकों के डेटा उनके नंबर के साथ लिंक नहीं हुए हैं. 


CAG की 108 पन्नों की रिपोर्ट में एक ही शख्स के डुप्लीकेट आधार कार्ड जारी होने से लेकर लोगों की पर्सनल इंफॉर्मेशन को खतरा और डेटा संग्रह के लिए व्यवस्था की कमी जैसे कई मुद्दों को रखा है. कैग ने इस रिपोर्ट में उस सिस्टम की कमी की भी आलोचना की है जो गलतियों के लिए जिम्मेदार कारकों का पता लगाने के लिए है. कैग ने कहा कि, UIDAI भले ही दुनिया के सबसे बड़े बायोमेट्रिक डेटाबेस में से एक हो हालांकि इसमें डेटा को संग्रहित करने के लिए कोई खास व्यवस्था नहीं है. जो डेटा को संग्रहित करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. 


पर्सनल इंफोर्मेशन के लिए बड़ा खतरा- CAG


CAG ने ये भी कहा कि, UIDAI ने इस बात का भी ध्यान नहीं रखा कि सर्टिफिकेशन के लिए एजेंसी या कंपनियों द्वार इस्तेमाल किए जा रहे एप्लिकेशन लोगों की पर्सनल जानकारी स्टोर करने में सक्षम है कि नहीं? उन्होंने ये भी कहा कि अगर नहीं है तो ये लोगों की पर्सनल इंफोर्मेशन के लिए बहुत बड़ा खतरा है. CAG ने  रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया कि UIDAI ये भी पुष्टि नहीं करता कि आवेदन करने वाले के पास ऐसे कागजात हैं जो प्रूफ देता हो कि वो नियमों द्वारा निर्दिष्ट समय के लिए भारत में रहता है कि नहीं. उन्होंने कहा कि इस बात पर भी यकीन नहीं है कि देश में रह रहे सभी आधार धारक भारत के ही निवासी हैं.


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