Budget 2022: 2008 में जब देश पर आर्थिक संकट आया तो वो ग्रामीण अर्थव्यवस्था ही था जिसने कुछ ही महीनों में भारत को संकट से बचा लिया. जबकि दुनिया के कई देशों पर वित्तीय संकट गहरा गया था. बीते कुछ वर्षों में देश के ग्रामीण इलाकों में मांग और खपत ज्यादा होने के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था में मजबूती आई थी. लेकिन कोरोनाकाल के कुछ समय पहले से और कोरोना काल में दौरान सबसे ज्यादा ग्रामीण अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है. हर किसी को उम्मीद थी जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 2022-23 के लिए बजट पेश करेंगी तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संकट से उबारने के लिए बड़ा ऐलान करेंगी जिससे ग्रामीण इलाकों में रहने वालों की आय बढ़ाई जा सके जिससे मांग और खपत बढ़ाने में मदद मिले. 


हाल ही में ऑक्सफैम से लेकर कई रिपोर्ट सामने आई जिसमें बताया गया है कि कैसे देश में अमीरी-गरीबी के बीच खाई बढ़ी है. ग्रामीण इलाकों में रहने वालों की आय घटी है खासतौर से कोरोना काल में. इसलिए सभी को उम्मीद थी 2022 बजट इन नजरिए से महत्वपूर्ण होगा. बजट में ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मांग खपत को बढ़ाने पर जोर रहेगा. वैसे भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 में किसानों की आय को दोगूना करने का वादा किया था. इसके मद्देनजर माना जा रहा था कि किसानों की आय को बढ़ाने पर बजट में जोर रहेगा. महंगे डीजल और महंगे खाद के चलते लागत बढ़ने से वैसे ही किसान परेशान हैं. कई सर्वेक्षण के मुताबिक किसानों की आय 2013 के मुकाबले खेती से कम हुई है. 


सरकार ने ईंधन, फर्टिलाइजर और फूड पर सब्सिडी का बजट 27 फीसदी घटा दिया है. एक तरफ फर्टिलाइजर की दाम में बढ़ोतरी आई है तो दूसरी तरफ बजट में फर्टिलाइजर पर दी जाने वाली सब्सिडी के रकम को 2022-23 में घटाकर 1.05 लाख करोड़ कर दिया गया है जबकि 2021-22 में ये सब्सिडी 1.4 लाख करोड़ रुपये था. डीजल के दाम आसमान छू रहे हैं तो बिजली भी महंगी हुई है. कच्चे तेल के दाम फिर से 90 डॉलर के करीब जा पहुंचा है. 1 दिसंबर 2021 के बाद से कच्चा तेल 30 फीसदी महंगा हुआ है लेकिन ईंधन के दामों में बदलाव नहीं किया गया है.  यानि ये तय है कि 10 मार्च को विधानसभा चुनाव के नतीजों के ऐलान के बाद डीजल के दामों में बेतहाशा बढ़ोतरी आएगी. जिसका सीधा असर किसानों पर पड़ेगा जब वे रबी फसल की कटाई और खरीफ की बुआई करेंगे. पीएम किसान सम्मान योजना की राशि यथावत तीन साल से 6,000 रुपये सलाना बना हुआ है. दरअसल किसानों की आय को बढ़ाने के लिए ठोस ऐलान होता तो ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार आता, खपत और मांग बढ़ाने में मदद मिलती. 


कोरोना काल में मनरेगा ने ग्रामीण इलाकों में रोजगार बढ़ाने में सबसे बड़ा योगदान दिया है. ये उम्मीद थी कि मनेरगा की सफलता को देखते हुए सरकार इसका बजट बढ़ाएगी लेकिन मनरेगा के बजट को 98,000 करोड़ रुपये घटाकर 2022-23 में 73,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है. जो 2020-21 में 1.11 लाख करोड़ रुपया था. ग्रामीण विकास मंत्रालय का बजट इस वर्ष 11 फीसदी घटा दिया गया है. 31 मार्च 2022 तक सरकार लोगों को मुफ्त अनाज दे रही है. इससे गावों में रहने वालों को महंगाई से बचाया जा सका है. इस इसका सुविधा को वापस लिया जा सकता है. और अगर ऐसा हुआ तो गावों में रहने वालों महंगाई से लड़ने के साथ आय में गिरावट से भी जूझना पड़ेगा. 


ग्रामीण अर्थव्यवस्था में संकट का अंदाजा टूव्हीलर और एफएमसीजी के इन इलाकों में घटते सेल्स से ही अंदाजा लगाया जा सकता है. ऐसे में माना जा रहा था कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था में तेजी लाने, किसानों मजदूरों की आय बढ़ाने के लिए, उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने के लिए बड़ा ऐलान होगा लेकिन बजट से निराशा हाथ लगी है. ऐसे में ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर संकट गहरा सकता है.  


ये भी पढ़ें


Explainer: क्यों देश के रीढ़ की हड्डी माने जाने वाले ग्रामीण अर्थव्यवस्था है बजट से निराश!


Explainer: RBI के 'डिजिटल रुपया' से कैसे बदलेगी देश में डिजिटल करेंसी की सूरत, पूरी जानकारी यहां लें