Employment Crisis In India: देश में बेरोजगारी की हालत ( Unemplyment Crisis) का अंदाजा इसी बात से आप लगा सकते हैं बीते 8 सालों में जितने लोगों ने सरकारी नौकरी के लिए आवेदन किया था. उसमें से केवल 0.3 फीसदी लोगों को ही सरकार रोजगार दिलाने में सफल रही है. ये आंकड़े खुद सरकार के हैं. 


केवल 0.3 फीसदी को स्थाई नौकरी
लोकसभा में सांसद अनुमुला रेवंथ रेड्डी ने सरकार से सवाल किया कि 2014 के बाद से सरकारी विभागों में वो कितने लोगों को स्थाई नौकरी दिला पाई है. इसके जवाब में कार्मिक विभाग और प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जीतेंद्र सिंह ने कहा कि 2014 के बाद से बीते 8 सालों में सरकारी नौकरियों के लिए कुल 22,05,99,238 ( 22 करोड़, 5 लाख, 99 हजार  238)  आवेदन आये हैं जिसमें से सरकार 7,22,311 लोगों को स्थाई नौकरी देने में सफल रही है. यानि कुल आवेदन का केवल 0.3 फीसदी लोगों को ही स्थाई नौकरी मिल पाई है. 


1.5 साल में 10 लाख सरकारी नौकरी का वादा 
लोकसभा चुनाव में दो साल बचे हैं तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगले डेढ़ सालों में 10 लाख लोगों को नौकरी देने का ऐलान किया है.  तो देश के आर्म्ड फोर्सेज में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना लेकर सरकार आई है जिसमें केवल छोटी अवधि के लिए सेवा में लोगों की भर्ती की जाएगी. सरकार की इस नई नीति की आलोचना भी हो रही है. जून महीने में बिहार समेत कई राज्यों में हिंसक आंदोलन देखने को मिला था.  


9,79,327 पद खाली
वैसे डिपार्टमेंट ऑफ एक्सपेंडिचर के पे रिसर्च यूनिट का सलाना रिपोर्ट के मुताबिक 1 मार्च 2021 तक के आंकड़ों के मुताबिक केंद्र सरकार के अलग अलग मंत्रालयों और विभागों में कुल 9,79,327 पद खाली पड़े हैं. जिसमें से ए ग्रेड के लिए 23,584 पद, बी ग्रेड के लिए 1,18,807 और सी ग्रेड के लिए 8,36,936 पद खाली पड़े हैं. हालांकि इन पदों में केंद्रीय विश्वविद्यालय और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में खाली पदों का ब्यौरा नहीं है. 


बेरोजगारी की समस्या  
रिसर्च फर्म सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडिया इकोनॉमी ने अपने आंकड़ों में कहा है कि जून में 7.8 फीसदी लोगों के पास रोजगार नहीं था जो कि मई के मुकाबले बढ़ा है. मई में ये 7.1 फीसदी हुआ करता था. CMIE के मुताबिक 20 - 24 वर्ष के उम्र के लोगों में बरोजगारी दर 43.7 फीसदी पर जा पहुंचा है. 


निशाने में पर सरकार की नीति
सरकार का दावा है कि वो रोजगार सृजन के लिए लगातार कोशिशें करती रही और ये सरकार के सबसे बड़े प्रथामिकताओं में है. लेकिन ये भी सच है कि रोजगार सृजन के मामलों में सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड बहुत बेहतर नहीं रहा है. विपक्ष पहले ही नोटबंदी, फिर गलत तरीके से लागू किए गए जीएसटी से नौकरियों के अवसर को हुए नुकसान को लेकर सरकार की नीतियों पर सवाल उठाता रहा है. कोविडकाल में भी रोजगार का नुकसान हुआ है. इसी सरकार के दौरान बेरोजगारी दर 45 साल के उच्चतम स्तर 6.1 फीसदी पर जा पहुंची थी.  लेकिन अब लोकसभा चुनाव में दो साल से भी कम समय बचे हैं तो सरकार 10 लाख स्ठाई नौकरियों के जरिए लुभाने के साथ अपना ट्रैक रिकॉर्ड बेहतर करने में जुट गई है.  


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