IOCL Refinery In India: अब दिल्ली-एनसीआर के निवासियों को अक्टूबर-नवंबर माह में धुएं से राहत मिलने जा रही है. आपको बता दे कि केंद्र और राज्‍य सरकारें मिलकर देश में पराली प्रबंधन (Straw Management) के लिए कई ठोस कदम उठाने जा रही है. किसानों के लिए अच्छी खबर सामने आ रही है. धान की पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण का सीजन शुरू होने जा रहा है. ऐसे में हर साल किसान अपने खेत से लाखों टन पराली जलाते थे, जिससे धुआँ पूरे वातावरण को ख़राब कर देता था. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. जानें क्या है योजना.


पराली से बनेगा इथेनॉल 
दिल्ली से सटे हरियाणा, पंजाब और उत्‍तर प्रदेश में कई जगहों से पराली जलाने की घटनाएं सामने आ रही है. आपको बता दे कि हरियाणा के पानीपत में इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL) रिफाइनरी ने पराली से इथेनॉल उत्‍पादन करने के लिए किसानों से पराली खरीदने की घोषणा की गई है. रिफाइनरी में पराली से इथेनॉल बनाने के लिए प्‍लांट लगाया गया है. मालूम हो कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 महीने पहले इस इथेनॉल प्‍लांट का उद्घाटन किया था.


900 करोड़ रु से तैयार हुआ प्लांट
पानीपत रिफाइनरी 172 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से पराली खरीदने की योजना तैयार की गई है. बताया जा रहा है कि इसे किसानों के खेतों से सीधे उठाया जाएगा. रिफाइनरी को पराली देने के लिए किसानों को पराली की गांठें बनवानी होंगी. करीब 900 करोड़ रुपये से तैयार यह प्लांट प्रतिदिन 100 किलोलीटर (1 किलोलीटर में 1 हजार लीटर) इथेनॉल बनाने की क्षमता रखता है. प्‍लांट के लिए पराली खरीदने को आसपास के जिलों के किसानों से पराली खरीदेगा. इसके लिए प्लांट की ओर से आसपास के जिलों में पराली कलेक्शन केंद्र स्थापित किए गए है.


किसान को होगी बचत 
आपको बता दे कि अगर किसान खुद स्ट्रा बेलर से पराली की गांठ बनवाता है तो एक एकड़ पर करीब 2 हजार रुपये खर्च आता है. जबकि, एक एकड़ धान की पराली 3,500 तक की बिक जाती है. इस तरह किसान को प्रति एकड़ 1,500 रुपये की बचत होगी है और साथ ही उसे पराली जलानी भी नहीं पड़ती हैं. 


सिर्फ पानीपत से सालाना 3.80 लाख टन पराली 
पराली प्रबंधन के लिए हरियाणा सरकार भी किसान को प्रति एकड़ 1 हजार रुपये अलग से दे रही हैं. हरियाणा की जीटी रोड बेल्ट में आने वाले पानीपत, करनाल, कुरुक्षेत्र और कैथल जिलों में धान की फसल की वजह से काफी पराली होती है. अकेले पानीपत जिले में ही हर साल 3.80 लाख टन पराली होती है.


साफ हो जायेंगे खेत 
आपको बता दे कि स्ट्रा बेलर से पराली की गांठ बनवाने पर खेत बिल्‍कुल साफ हो जाएगा. इससे किसान को गेहूं की बुआई करने में कोई दिक्‍कत नहीं आती हैं. इसका कारण है कि खेत में पराली के अवशेष नहीं बचते हैं. किसान हैरो से जुताई करके गेहूं बो सकते हैं. साथ ही वो जीरो ड्रिल मशीन (Zero Drill Machine) से बिना बुआई किए बेलर से गांठ बनाकर पराली प्रबंधन किए खेत में गेहूं बुआई आसानी से हो सकती हैं.


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