Share Market News: दुनियाभर के शेयर बाजारों में गिरावट का सिलसिला जारी है. अमेरिकी शेयर बाजारों में कल यानि 18 मई के कारोबारी दिन बड़ी गिरावट देखने को मिली. 18 मई को इंट्रा डे में नैस्डेक (Nasdaq) और S&P में 4% से ज्यादा की गिरावट देखी गई. अर्थव्यवस्था से जुड़ी चिंताओं की वजह से ग्रोथ शेयरों की रैली थम गई. इस कारण नैस्डेक और S&P में जबरदस्त गिरावट आई है. दरअसल लगातार बढ़ती कीमतों के कारण मांग घटी है जिसका असर रिटेलर कंपनियों के शेयर पर पड़ा है. इसी वजह से S&P 500 अपने निचले लेवल तक आ गया है. 


शेयरों में बड़ी गिरावट


आंकड़ों के मुताबिक टारगेट कॉर्प्स का पहली तिमाही का मुनाफा घटकर आधा हो गया है. ईंधन के दाम बढ़ने और माल ढुलाई का खर्च बढ़ने के कारण कंपनी ने मार्जिन पर तगड़े चोट की चेतावनी दी है. कंपनी के शेयर 18 मई को 25.2 प्रतिशत गिर गए. अमेरिका में 19 अक्टूबर 1987 के ब्लैक मंडे के बाद इसके शेयरों में सबसे बड़ी गिरावट आई है.


वहीं एक दिन पहले रिटेलर कंपनी वॉलमार्ट ने भी कमजोर नतीजे जारी किए थे. SPDR S&P Retail ETF में 8.2 प्रतिशत की गिरावट आई है. आखिरी अपडेट तक सभी 11 बड़े S&P सेक्टर्स में गिरावट आई है. आखिरी अपडेट तक कंज्यूमर शेयरों में 5.7 प्रतिशत और टेक शेयरों में 3.5 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी थी.


ये हैं गिरावट की प्रमुख वजहें


लगातार बढ़ रही महंगाई, रूस-यूक्रेन युद्ध, लंबे समय से सप्लाई चेन में दिक्कत, कोरोनावायरस संक्रमण के कारण चीन में लॉकडाउन, केंद्रीय बैंकों के रेट बढ़ाने के आसार के साथ आर्थिक मंदी की चिंताओं का असर शेयर बाजार पर पड़ा है.


फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जीरोम पॉवेल ने मंगलवार को यह वादा किया था कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक महंगाई पर काबू पाने के लिए उतना ही रेट बढ़ाएगा जितनी जरूरत होगी. ट्रेडर्स फिलहाल जून और जुलाई में 50 बेसिस अंक रेट में बढ़ोत्तरी का अनुमान लगा रहे हैं.


इस साल आई बड़ी गिरावट


2022 में अब तक S&P 500 16.8 प्रतिशत गिर चुका है. वहीं नैसडेक 26 प्रतिशत से ज्यादा गिर चुका है. 19 मई की रात 12.08 बजे तक Dow Jones 950 अंक नीचे ट्रेड कर रहा है. वहीं S&P 500 125.35 अंक यानी 3.07 प्रतिशत गिर चुके हैं. Nasdaq Composite 432.54 अंक यानी 3.61 प्रतिशत गिरकर 11,551.99 पर हैं.


भारतीय बाजारों पर असर


महंगाई का असर भारतीय बाजारों पर भी बुरी तरह छाया हुआ है. भारतीय रिजर्व बैंक ने इसकी चिंता से एक बार तो ब्याज दरों में इजाफा कर दिया है. जानकारों को आशंका है कि आने वाले 2 मौद्रिक नीति समीक्षा बैठकों में इसे एक बार फिर से बढ़ाया जा सकता है. ऐसे में बाजारों में अनिश्चितता रह सकती है.


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