पिछले साल मई से देश में ब्याज दरें लगातार बढ़ती गई हैं. रिजर्व बैंक ने जैसे ही रेपो रेट को बढ़ाने का इशारा किया, सारे बैंक ब्याज दरें बढ़ाने लग गए. अब जबकि रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को दो बार से स्थिर रखा है, उसके बाद भी बैंक ब्याज दरों को बढ़ाए जा रहे हैं. ताजा मामले में तीन बैंकों ने इस महीने की शुरुआत से अपनी ब्याज दरें बढ़ा दी हैं. इसका सबसे ज्यादा असर अपना घर खरीदने का सपना पूरा करने की योजना बना रहे लोगों पर हुआ है. पिछले दो साल में होम लोन की ब्याज दरें बेतहाशा बढ़ी हैं.


इन 3 बैंकों ने फिर बढ़ाई दरें


अभी का देखें तो आईसीआईसीआई बैंक, पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ इंडिया ने 1 अगस्त से मार्जिनल कॉस्ट बेस्ड लेंडिंग रेट यानी एमसीएलआर को बढ़ा दिया है. आम लोगों के काम के लोन, जिन्हें कंज्यूमर लोन भी कहा जाता है, अमूमन एक साल की एमसीएलआर पर आधारित होते हैं. ऐसे लोन में ऑटो लोन, पर्सनल लोन और होम लोन आदि शामिल हैं. स्वाभाविक है कि एमसीएलआर बढ़ने से ये सारे लोन महंगे हुए हैं. ताजी बढ़ोतरी के बाद एक साल की एमसीएलआर आईसीआईसीआई बैंक के मामले में 8.90 फीसदी, पंजाब नेशनल बैंक के मामले में 8.60 फीसदी और बैंक ऑफ इंडिया के मामले में 8.70 फीसदी हो गई है.


अभी भी कम नहीं हुआ खतरा


यह पहली बार नहीं है, जब बैंकों ने अपनी ब्याज दरें बढ़ाई हों. दरअसल रिजर्व बैंक ने कोरोना महामारी के समय आर्थिक वृद्धि को सहारा देने के लिए नीतिगत दरों को बहुत कम कर दिया था. बाद में जब महंगाई रिकॉर्ड बनाने लग गई हो रिजर्व बैंक को रेपो रेट बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ा. रिजर्व बैंक ने पिछले साल मई में मौद्रिक नीति की आपात बैठक कर रेपो रेट को बढ़ाने की शुरुआत की. उसके बाद से अब तक रेपो रेट को 2.50 फीसदी बढ़ाया जा चुका है. जून 2023 में हुई आखिरी एमपीसी बैठक में लगातार दूसरी बार रेपो रेट को स्थिर रखा गया था. हालांकि महंगाई के फिर से चढ़ने से ऐसी आशंकाएं उपस्थित हो रही हैं कि रिजर्व बैंक को इस महीने होने वाली बैठक में रेपो रेट को फिर बढ़ाने का फैसला लेना पड़ सकता है.


अफोर्डेबल हाउसिंग पर सबसे ज्यादा बोझ


इस बीच प्रॉपर्टी कंसल्टेंट एनारॉक की एक रिपोर्ट में चिंताजनक ट्रेंड सामने आया है. एनारॉक की रिपोर्ट कहती है कि महामारी का सबसे ज्यादा असर किफायती घरों की कैटेगरी पर हुआ है. साल 2023 के पहले छह महीनों के दौरान अफोर्डेबल हाउसिंग की बिक्री में करीब 20 फीसदी की गिरावट आई है. इसका सबसे बड़ा कारण ईएमआई के बोझ में रिकॉर्ड बढ़ोतरी है. रिपोर्ट के अनुसार, अफोर्डेबल हाउसिंग सेगमेंट में ईएमआई का बोझ पिछले 2 साल में 20 फीसदी बढ़ा है.


मूल धन से भी ज्यादा हुआ ब्याज


30 लाख रुपये तक के होम लोन के लिए फ्लोटिंग रेट अभी से 2 साल पहले यानी 2021 के मध्य में 6.7 फीसदी थी, जो अभी 9.15 फीसदी पर पहुंच चुकी है. इसका मतलब हुआ कि अफोर्डेबल हाउसिंग के मामले में ब्याज दरें पिछले 2 साल में 2.45 फीसदी बढ़ी हैं. इसका एक और मतलब ये हो गया कि अगर कोई घर खरीदार 20 साल के लिए होम लोन ले रहा है, तो वह अभी की स्थिति में मूल धन से ज्याद ब्याज भर रहा है. स्वाभाविक है कि कर्ज के इस तरह महंगे होने से डिमांड पर बुरा असर पड़ेगा.


इस तरह से हो रहा है असर


किफायती घरों के खरीदार आम लोग होते हैं और इनमें से लगभग सारे घर खरीदने के लिए होम लोन पर निर्भर रहते हैं. अफोर्डेबल हाउसिंग सेगमेंट के घर खरीदारों के लोन 30 लाख रुपये तक की कैटेगरी में आते हैं. एसअीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट बताती है कि अप्रैल से जून 2022 के दौरान कुल होम लोन में 30 लाख रुपये तक के लोन की हिस्सेदारी 60 फीसदी थी, जो जनवरी-फरवरी के दौरान कम होकर 45 फीसदी पर आ गई.


सरकार से है मदद की दरकार


सिग्नेचर ग्लोबल (इंडिया) लिमिटेड के फाउंडर-चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल आम लोगों के घरों की ईएमआई बढ़ने के कारण बताते हैं. वे कहते हैं कि इसके लिए कई फैक्टर जिम्मेदार हैं. सबसे बड़ा फैक्टर तो ब्याज दरों का बढ़ना है ही, उसके अलावा मांग आने से प्रॉपर्टी के दाम में बढ़ोतरी, लैंड कॉस्ट में तेजी और कंस्ट्रक्शन की लागत के ज्यादा होने से भी असर पड़ा है. उन्होंने अफोर्डेबल हाउसिंग सेगमेंट में लोगों को राहत पहुंचाने के लिए सरकार से खास छूट देने की मांग भी की. बकौल अग्रवाल, सरकार को इस सेगमेंट में घर खरीदारों को कुछ छूट देनी चाहिए, ताकि उनके ऊपर ईएमआई के बढ़े बोझ को कुछ कम किया जा सके.


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