Public Intrest On Nuh Violence: मेवात राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटा हुआ हरियाणा का एक जिला है. जहां पर सोमवार (31 जुलाई) को हिंसा हुई है जिसकी आग राज्य के बाकी जिलों में भी पहुंच गई है. लिहाजा एहतियातन हिंसा की संभावना होने के जिलों में अलर्ट जारी किया गया है तो वहीं हिंसा प्रभावित जिलों में सरकार ने अगले आदेश तक कर्फ्यू लगा दिया है.

  


इससे पहले आपको हम ये बताएं कि आखिर इस हिंसा के लिए बंदूके और हथियार कौन लाया, यहां पर आपको यह जान लेना जरूरी है कि अचानक यह हिंसा कैसे शुरू हुई. तो दरअसल ऐसा नहीं है कि ऐसी हिंसा अचानक शुरू हो गई हो, दरअसल इसकी तैयारी मेवात में बहुत पहले ही हो गई थी, तो वहीं इस हिंसा की आग बीते कई महीनों से भीतर-भीतर सुलग रही थी. 


विभिन्न मीडिया रिपोर्ट्स की बात करें तो हिंसा की यह आग तबसे झुलस रही थी जब यहां पर कथित गौरक्षकों ने एक समुदाय के तीन लोगों की कथित तौर पर हत्या कर दी थी. जिसके बाद से यहां पर पहले से ही एक वर्ग में तनाव था. लिहाजा जब इन गौरक्षकों ने कथित तौर पर कहा कि वह भी इस यात्रा में शामिल होंगे उसके बाद से ही यहां मौजूद एक समुदाय ने विरोध कर दिया और उसके बाद कथित तौर पर यह हिंसा हुई. 


विश्व हिंदू परिषद ने निकाली ब्रज मंडल यात्रा
31 जुलाई यानी सोमवार (31 जुलाई) को विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल ने ब्रज मंडल यात्रा निकाली. इस यात्रा में शामिल लोगों ने पहले नूंह में नल्हड़ के नलहरेश्वर शिव मंदिर में जलाभिषेक किया. इसके बाद यात्रा को बड़कली चौक से होते हुए फिरोजपुर-झिरका के पांडवकालीन शिव मंदिर और पुन्हाना में सिंगार के राधा कृष्ण मंदिर तक जाना था. लेकिन यात्रा मंदिर से निकलकर 500 मीटर दूर बड़कली चौक पहुंची ही थी कि दंगाइयों ने पथराव शुरू कर दिया और गाड़ियों में आग लगा दी गई. हालात बिगड़े तो कुछ लोग जान बचाने के लिए मंदिर लौट गए. इसके बाद दंगाइयों ने मंदिर पर फायरिंग कर दी.


क्या पहाड़ियों से हो रही थी फायरिंग?
ऐसा कहा जा रहा है कि मंदिर के पास की पहाड़ियों पर छिपकर दंगाई श्रद्धालुओं पर गोली चला रहे थे. आरोप है कि इन पहाड़ियों पर छिपकर ही दंगाई श्रद्धालुओं पर गोली चला रहे थे. इसी ऐतिहासिक शिव मंदिर से जलाभिषेक यात्रा शुरु हुई थी और 500 मीटर पहुंची ही थी कि दंगाईयों ने उन पर हमला कर दिया जिसके बाद श्रद्धालू वापस आकर इस मंदिर में छिप गए थे. जिसके बाद दंगाईयों ने पहाड़ी से गोली चलाना शुरू कर दिया. 


मंदिर में फंसे लोगों को तो बचा लिया गया लेकिन नफरत की आग तब तक गुरुग्राम को चपेट में ले चुकी थी. शाम करीब 6 बजे के आसपास सोहना में हिंसा शुरू हो गई. दुकानों को निशाना बनाया गया. सोहना बाईपास पर गाड़ियों में तोड़फोड़ की गई और उसमें आग लगा दी गई.


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