Retail Inflation in Rural: देश में महंगाई दर के बढ़ते आंकड़ों को लेकर रिजर्व बैंक लगातार नजरें बनाए हुए है और इसे अपने तय दायरे के भीतर लाने की कोशिशें जारी हैं. इस बीच एक ऐसा आंकड़ा आया है कि जिससे फिर मंहगाई को लेकर चिंताएं बढ़ सकती हैं. ये आंकड़ा गांवों में काम कर रहे कामगारों के लिए महंगाई का है.


कृषि और ग्रामीण श्रमिकों के लिए खुदरा महंगाई दर बढ़ी


कृषि और ग्रामीण श्रमिकों के लिए खुदरा महंगाई दर नवंबर में सालाना आधार पर बढ़कर क्रमशः 6.87 फीसदी और 6.99 फीसदी हो गई है. श्रम मंत्रालय के तहत श्रम ब्यूरो ने मंगलवार को बयान में यह जानकारी दी. इसके मुताबिक, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक- कृषि श्रमिक (सीपीआई-एएल) नवंबर, 2021 में 3.02 फीसदी रहा था जबकि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक- ग्रामीण श्रमिक (सीपीआई-आरएल) 3.38 फीसदी पर था. वहीं अक्टूबर, 2022 में सीपीआई-एएल 7.22 फीसदी और सीपीआई-आरएल 7.34 फीसदी पर रहा था.


ग्रामीण श्रमिकों के लिए खाद्य महंगाई दर के आंकड़े भी जानें


श्रम ब्यूरो के मुताबिक नवंबर, 2022 में खाद्य महंगाई दर कृषि श्रमिकों के लिए 6.19 फीसदी जबकि ग्रामीण कामगारों के लिए 6.05 फीसदी पर रही है. अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक नवंबर में कृषि श्रमिकों के लिए आठ अंक बढ़कर 1,167 पर रहा जबकि ग्रामीण श्रमिकों के लिए यह आंकड़ा 1,178 अंक रहा.


क्यों बढ़ी ग्रामीण इलाकों में महंगाई दर


ग्रामीण इलाकों में महंगाई दर का आंकड़ा इसलिए ज्यादा आया है क्योंकि इसमें खाद्य महंगाई का हिस्सा ज्यादा रहा है. खाने-पीने की महंगाई दर को लेकर पहले भी बात हो चुकी है और इसका हिस्सा तेजी से बढ़ना एक चिंता का विषय बना हुआ है. ग्रामीण इलाकों में खासतौर पर इन घटकों की महंगाई दर बढ़ गई है जिसमें से मुख्य नाम चावल, गेहूं-आटा, ज्वार, बाजरा, दालें, मांस, सरसों का तेल, दूध, घी, प्याज, मिर्चें, मिश्रित मसाले, चाय-रेडीमेड के दाम में खासतौर पर मुख्य इजाफा हुआ है.


ये भी पढ़ें


Stock Market Today Live: शेयर बाजार की शानदार शुरुआत, सेंसेक्स 62,000 के करीब खुला, निफ्टी 18400 के पार पहुंचा