RBI Governor Meeting With Banks: खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation Rate) में गिरावट और दिसंबर में होने वाले मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी ( Monetary Policy Committee) की बैठक से पहले आरबीआई गवर्नर ( RBI Governor) शक्तिकांत दास ( Shaktikanta Das) ने सरकारी बैंकों ( Public Sector Banks) और निजी बैंकों ( Private Banks) के मैनेजिंग डायरेक्टर्स और सीईओ के साथ बड़ी बैठक की है. आरबीआई गवर्नर ने महामारी और फाइनैंशियल मार्केट में उठापटक के दौरान कमर्शियल बैंकों ने जो महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है उसकी तारीफ की. लेकिन आरबीआई गवर्नर ने कर्ज की मांग के मुकाबले डिपॉजिट ग्रोथ में गिरावट को लेकर चिंता भी जाहिर की है. 


आरबीआई ने चार बार मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक में 1.90 फीसदी रेपो रेट बढ़ाया. आरबीआई के इस कदम के बाद बैंकों ने फटाफट कर्ज महंगा कर दिया. लेकिन उसके मुकाबले डिपॉजिट रेट्स बढ़ाने में कंजूसी बरती. जिसका नतीजा ये है कि भले ही बैंकों के क्रेडिट ग्रोथ यानि कर्ज की मांग में जबरदस्त बढ़ोतरी आई हो लेकिन उसके मुकाबले बैंकों का डिपॉजिट ग्रोथ रेट नहीं बढ़ा है. बैंकों को अब नगदी की कमी का सामना करना पड़ा है. लोग ज्यादा रिटर्न नहीं मिलने के चलते बैंकों में पैसा रखने के कन्नी काट रहे हैं.


और बुधवार को जब आरबीआई गवर्नर, बैंकों के एमडी सीईओ से मिले तो उन्होंने डिपॉजिट्स में कमी का मुद्दा उठाया. इसके अलावा उन्होंने इस बैठक में बैंकों के एसेट क्वालिटी, बैंकों के आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश, न्यू एज टेक्नोलॉजी सोल्यूशन को अपनाने, डिजिटल बैंकिंग यूनिट्स के कामकाज जैसे मुद्दों पर भी चर्चा की. 


इससे पहले आरबीआई गवर्नर ने कहा कि तमाम चुनौतियों के बावजूद सभी तरह के परफॉर्मेंस के लिहाज से भारत का बैंकिंग सेक्टर मजबूती का साथ खड़ा रहा है. उन्होंने लगातार बदल रहे मैक्रोइकॉनमिक हालात के मद्देनजर वैश्विक स्पिलओवर से बैंकों को सचेत रहने को लेकर आगाह किया है. साथ ही ऐसे कदम उठाने की नसीहत दी जिससे बैंकों के बैलेंसशीट पर पड़ने वाले प्रभावों को कम किया जा सके और वित्तीय स्थिरता के जोखिम को नियंत्रित किया जा सके. 


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