RBI Data on Household Savings: भारतीय रिजर्व बैंक ने देश में घरेलू वित्तीय बचत (हाउसहोल्ड सेविंग) का डेटा जारी किया है और इससे भारतीयों की बचत और निवेश करने के ट्रेंड के बारे में बड़ी जानकारी मिली है. भारत के नागरिकों में कुल घरेलू बचत को म्यूचुअल फंड में निवेश करने का आंकड़ा बढ़ा है. वहीं बैंक डिपॉजिट जैसे पीपीएफ, एफडी, पेंशन फंड और इंश्योरेंस जैसे अन्य निवेश माध्यम में पैसा लगाने का आंकड़ा कम रहा है. हालांकि देश की घरेलू बचत में भारी कमी आई है. 


वित्त वर्ष 2022 में घरेलू बचत 19 फीसदी घटी
वित्त वर्ष 2022 का कुल बचत आंकड़ा इससे पिछले साल की तुलना में 19 फीसदी घट गया है. वहीं देश की कुल घरेलू बचत में म्यूचुअल फंड निवेश का हिस्सा 150 फीसदी से ज्यादा बढ़ गया है और ये पिछले 4 वित्तीय सालों में सबसे ज्यादा रहा है. 


म्यूचुअल फंड में कितना बढ़ा निवेश
साल 2021-22 (वित्त वर्ष 2022) में कुल भारतीय घरेलू बचत 25 खरब रुपये की रही और रिजर्व बैंक द्वारा जारी डेटा के मुताबिक इसमें म्यूचुअल फंड से कुल 1.6 खरब रुपये का निवेश आया है. कुल 25 खरब रुपये में म्यूचुअल फंड का सारा हिस्सा 6.3 फीसदी पर रहा है. पिछले साल ये 2 फीसदी पर रहा था और इस साल 6 फीसदी से ज्यादा हो गया है जिससे ये रिटेल निवेशकों के लिए पांचवा सबसे बड़ा निवेश माध्यम बन गया है. 


बैंक डिपॉजिट में आई कमी पर अभी भी सबसे बड़ा हिस्सा 
रिटेल निवेशकों द्वारा बैंक डिपॉजिट में पैसा लगाने वालों की संख्या में सालाना आधार पर 45 फीसदी की गिरावट जरूर आई है पर ये अभी भी हाउसहोल्ड सेविंग का सबसे बड़ा हिस्सा है. 6.9 खरब रुपये के साथ इसका कुल घरेलू बचत में 26 फीसदी हिस्सा है. 


जानें किस माध्यम में आया कितना निवेश
आरबीआई के डेटा के मुताबिक पेंशन और प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ सहित) का कुल घरेलू बचत में 23 फीसदी हिस्सा है और ये दूसरे स्थान पर है. तीसरे स्थान पर लाइफ इंश्योरेंस फंड हैं जिनका हिस्सा 17 फीसदी है और तीसरा सबसे बड़ा हिस्सा स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स का है जो कुल बचत का 13 फीसदी हिस्सा रही हैं. देश की कुल घरेलू बचत 19 फीसदी घटी है पर इसमें म्यूचुअल फंड का हिस्सा 150 फीसदी बढ़ा है जो सबसे तेज गति से बढ़ा है. 


बैंक डिपॉजिट्स और म्यूचुअल फंड की तुलना
वित्त वर्ष 2021 में कुल घरेलू बचत में बैंक डिपॉजिट्स का हिस्सा 38.6 फीसदी पर था जो वित्त वर्ष 2022 में घटकर 25.5 फीसदी पर आ गया है. वहीं म्यूचुअल फंड की बात करें तो वित्त वर्ष 2021 में हाउसहोल्ड सेविंग में इनका हिस्सा 2 फीसदी था जो सालाना आधार पर बढ़कर 6 फीसदी पर आ गया है. 


क्या अर्थ निकलता है इन आंकड़ों का
वित्तीय जानकारों का कहना है कि म्यूचुअल फंड में ज्यादा पैसा लगने का अर्थ है कि बढ़ी महंगाई दर से उन लोगों पर ज्यादा असर नहीं हुआ है जो सैलरीड क्लास है और जिनके पास अतिरिक्त इनकम है. बल्कि इसके मुकाबले निम्न आय वर्ग की जनता पर महंगाई का ज्यादा असर देखा गया है जो बैंक डिपॉजिट्स के कई ट्रेडिशनल निवेश इंस्ट्रूमेंट्स में पैसा लगाती है. इससे ये भी साफ है कि म्यूचूअल फंड के जरिए शेयर बाजार में पैसा लगाने वालों की संख्या बढ़ गई है जैसा कि AMFI ने डेटा जारी किया है. वित्त वर्ष 2022 में 1.2 अरब रुपये SIP के जरिए म्यूचुअल फंड में लगाए गए हैं.  


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