वैश्विक स्तर पर आर्थिक मंदी (Global Economic Recession) दस्तक दे चुकी है, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) ने अभी तक तुलनात्मक रूप से बेहतर प्रदर्शन किया है. भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank Of India) का भी मानना है कि देश की अर्थव्यवस्था ने अब तक काफी मजबूती दिखाई है. हालांकि आने वाले दिनों के बारे में रिजर्व बैंक को भी कुछ बातों का डर सता रहा है. सेंट्रल बैंक को लगता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को आने वाले दिनों में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जो आर्थिक वृद्धि (GDP Growth Rate) की रफ्तार पर नकारात्मक असर डाल सकते हैं.


अर्थव्यवस्था ने दिखाया है दम


रिजर्व बैंक ने मंगलवार को अपनी सालाना रिपोर्ट (RBI Annual Report) जारी की. रिपोर्ट में सेंट्रल बैंक ने देश की अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन और आने वाले समय को लेकर विस्तार से बातें की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने पिछले वित्त वर्ष के दौरान काफी मजबूती दिखाई और प्रमुख देशों के बीच सबसे तेजी से वृद्धि करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनकर उभरा. हालांकि आने वाले दिनों में ट्रेंड में कुछ बदलाव दिख सकता है.


महंगाई में कमी आने की उम्मीद


रिजर्व बैंक ने कहा कि मजबूत व्यापक आर्थिक नीतियों और कमॉडिटीज की कीमतों में नरमी के चलते भारत की वृद्धि की गति 2023-24 में बरकरार रहने की संभावना है. केंद्रीय बैंक को चालू वित्त वर्ष में महंगाई में कमी की भी उम्मीद भी है. इसके साथ ही रिजर्व बैंक का यह भी मानना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था की धीमी वृद्धि, दीर्घकालिक भू-राजनीतिक तनाव और वैश्विक वित्तीय प्रणाली में दबाव के कारण अगर वित्तीय बाजार में अस्थिरता आती है, तो इससे भारत की वृद्धि के लिए नकारात्मक जोखिम पैदा हो सकते हैं.


मौद्रिक नीति अब तक रही कामयाब


आरबीआई का कहना है कि उसकी मौद्रिक नीति महंगाई को नियंत्रित दायरे में लाने के साथ-साथ आर्थिक वृद्धि दर को मजबूत बनाए रखना सुनिश्चित करने पर केंद्रित रही है. मौद्रिक नीतियों ने इसे पाने में कामयाबी भी दिखाई है और इनके कारण महंगाई नरम पड़ी है, जो अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक है. आने वाले दिनों में महंगाई को लेकर रिजर्व बैंक का कहना है कि अगर अल नीनो का असर नहीं होता है तो एक स्थिर विनिमय दर और एक सामान्य मानसून के मामले में 2023-24 में महंगाई कम हो सकती है. रिजर्व बैंक का कहना है कि थोक महंगाई कम होकर 5.2 फीसदी पर आ सकती है है, जो बीते वित्त वर्ष में  6.7 फीसदी रही थी.


वृद्धि दर को गिरा सकते हैं ये फैक्टर


रिजर्व बैंक को अल नीनो और इसके कारण महंगाई में वृद्धि की आशंका के अलावा भी कुछ चीजें परेशान कर रही हैं. वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान दूसरी छमाही में यानी अक्टूबर 2022 से मार्च 2023 के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में मांग में कमी आई है, जो नकारात्मक है. इसके अलावा लागत का दबाव भी बना हुआ है. वैश्विक स्तर पर भी कई चुनौतियां हैं. भू-राजनीतिक घटनाक्रम यानी युद्ध जारी है, यूरोप में मंदी दस्तक दे चुकी है और हाल ही में बैंकिंग संकट के रूप में वित्तीय बाजार में अस्थिरता देखी गई है. रिजर्व बैंक को डर है कि ये सारे फैक्टर मिलकर भारतीय अर्थव्यवस्था पर डाउनसाइड रिस्क पैदा कर रहे हैं, यानी इन कारणों से आने वाले समय में देश की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार कुछ सुस्त पड़ सकती है.


ये भी पढ़ें: बिजनेस के मैदान पर भी धोनी का जलवा, तस्वीरों में देखें MSD के 7 निवेश