नई दिल्ली : देश में जनवरी से सितंबर के बीच नए घरों की मांग में कमी की बात सामने आई है ऐसे में रियल स्टेट बिजनेस के लिए इसे खतरा माना जा सकता है. हालांकि सस्ते घरों में आपूर्ति में इजाफे की बात सामने आई है जिसे इस सेक्टर के लिए राहत की बात माना जा सकता है.


देश के आठ प्रमुख शहरों में चालू साल में जनवरी से सितंबर के बीच में नए घरों की मांग 33 फीसदी घटकर 60,140 रह गई है. हालांकि इस समय में सस्ते मकानों की आपूर्ति में करीब 27 फीसदी का इजाफा भी हुआ है. कुशमन एंड वेकफील्ड की रिपोर्ट के अनुसार, आठ प्रमुख शहरों-दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे और अहमदाबाद में जनवरी-सितंबर, 2016 में मकानों की सप्लाई 89,970 यूनिट रही थी.

दरअसल सरकार ने जनता को सस्ते मकान उपलब्ध कराने की योजना के कारण सस्ते आवास क्षेत्र को बुनियादी ढांचा क्षेत्र का दर्जा दिया है. इस योजना के तहत सरकार ने ब्याज पर सब्सिडी देने का एलान किया है. रिएलिटी डेवलेपर्स ऐसे में सस्ते घर बनाने पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं. साथ ही जीएसटी और रियल एस्टेट रेगुलेटरी कानून रेरा का लागू होना भी इस बदलाव का एक कारण है.

रिपोर्ट के अनुसार चालू साल की तीन तिमाहियों में कुल मिलाकर हाउसिंग यूनिट्स की पेशकश 33 फीसदी घटकर 60,140 रह गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि मुंबई को छोड़कर अन्य सभी शहरों में नए घरों की पेशकश घटी है. हांलांकि, जनवरी-सितंबर के दौरान सस्ते मकानों की सप्लाई करीब 27 फीसदी बढ़कर 26,081 इकाई पर पहुंच गई, जो इससे पिछले साल की समान अवधि में 20,485 इकाई रही थी. सस्ते मकानों की नए पेशकश में 40 फीसदी की पेशकश मुंबई में 10,500 यूनिट्स की रही. इसके बाद कोलकाता और पुणे का नंबर आता है.