PM Gati Shakti Project: भारत में सभी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में से आधी देरी से चल रही हैं और चार में से एक अपने अनुमानित बजट से अधिक खर्चे पर चल गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का मानना ​​​​है कि टेक्नोलॉजी इन समस्याओं और बाधाओं का समाधान है. भारत की 100 खरब रुपये या 1.2 ट्रिलियन डॉलर की विशाल गति शक्ति योजना के अंतर्गत प्रधानमंत्री मोदी का एडमिनिस्ट्रेशन एक डिजिटल प्लेटफॉर्म बना रहा है जिसमें देश के 16 मंत्रालयों का एक साथ संयोजन देखा जाएगा. इनका पोर्टल निवेशकों और कंपनियों को उनके प्रोजेक्ट्स के लिए सारे समाधान, मंजूरियां और कॉस्ट का आसान अनुमान एक ही जगह पर देने में सक्षम होगा. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक ये खबर आई है. 


ग्लोबल कंपनियां भारत को बनाएं मैन्यूफैक्चरिंग हब
भारत के कॉमर्स और इंडस्ट्री मंत्रालय के स्पेशल सेक्रेटरी अमृत लाल मीणा का कहना है कि, "हमारा उद्देश्य है कि ग्लोबल कंपनियां भारत को अपना मैन्यूफैक्चरिंग केंद्र चुनें और पीएम गति शक्ति मिशन इसी के लिए काम करेगा. इसके तहत प्रोजेक्ट्स का समय और बजट बढ़ाए बिना उनको लागू किया जा सके, इसपर फोकस है. 


भारत क्यों है कंपनियों के लिए आकर्षक स्थल
प्रोजेक्ट्स के जल्दी पूरा होने से भारत को फायदा मिलना चाहिए वो भी ऐसे समय में जब चीन बाहरी दुनिया के लिए लगभग बंद है. लिहाजा ग्लोबल कंपनियों ने चीन के साथ एक और देश में व्यापार करने की नीति अपनाई है. इसके जरिए वो एक ऐसे देश में कारोबारी एक्सपेंशन करना चाहती हैं जिसमें उनकी सप्लाई चेन और व्यापार दोनों का विस्तार हो सके. भारत इसके लिए आदर्श स्थल हो सकता है क्योंकि ये ना सिर्फ एशिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी है बल्कि यहां सस्ते श्रमिक उपलब्ध होते हैं और अंग्रेजी बोलने वाले टैलेंटड कर्मचारी भी भारी संख्या में मौजूद हैं. 


लॉजिस्टिक नेटवर्क की खामियां पहचानी जाएंगी
किअर्नी इंडिया में पार्टनर और ट्रांसपोर्ट और इंफ्रा प्रैक्टिस लीड अंशुमन सिन्हा का कहना है कि "चीन के साथ मुकाबला करने का एक ही तरीका है कि मूल्य में प्रतिस्पर्धात्मक होने के साथ साथ राजनीतिक मंजूरियां भी जल्द और आसानी से मिल सकें. इसी के लिए गति शक्ति प्रोजेक्ट वस्तुओं और उत्पादित सामानों को देश के एक कोने से दूसरे कोने में आसानी से लाने-ले जाने को बाधा रहित बनाने के लिए है. लिहाजा गति शक्ति के जरिए लॉजिस्टिक नेटवर्क में जो खामियां या कमियां हैं, उनकी पहचान करके इस नेटवर्क को मजबूत बनाने में आसानी होगी. यह प्रोजेक्ट नए प्रोडक्शन क्लस्टर्स की पहचान करेगा जो भले ही आज उपलब्ध नहीं हैं, लेकिन उन्हें देश के रेलवे नेटवर्क, शिपिंग पोर्ट्स और एयरपोर्ट्स से बिना किसी बाधा के जोड़ना होगा. 


पोर्टल से दूर हो रही हैं दिक्कतें
टेक्नोलॉजी के जरिए लाल फीताशाही को कम करना भारत के लिए ज़रूरी है. अमृत लाल मीणा का कहना है कि गतिशक्ति पोर्टल पर फिलहाल मौजूद 1300 प्रोजक्ट में से करीब 40 प्रतिशत ज़मीन लिए जाने, वन या पर्यावरण की मंजूरियों के अभाव में लटके हुए हैं और इसकी वजह से प्रोजेक्ट कॉस्ट बढ़ती है. कम से कम 422 प्रोजक्ट्स में कुछ ना कुछ दिक्कत थी और पोर्टल ने अब तक 200 प्रोजेक्ट्स की समस्याओं को दूर किया है.  


आखिरी छोर तक की कनेक्टिविटी कराई जाएगी मुहैया
अमृत लाल मीणा का कहना है कि सरकार गति शक्ति पोर्टल का इस्तेमाल शुरुआत से लेकर आखिरी छोर तक की कनेक्टिविटी के बीच आ रहे अंतर को पहचानने के लिए भी किया जा रहा है. इस गति शक्ति पोर्टल के जरिए 196 प्रोजेक्ट्स को वरीयता दी जा रही है जो कोयला, स्टील और खाद्य उत्पादों को पहुंचाने के लिए पोर्ट कनेक्टिविटी के बीच आ रहे अंतर को पाटेंगी. 


रोड कंस्ट्रक्शन में भी हो रहा पोर्टल का यूज
इसके अलावा सड़क परिवहन मंत्रालय इस पोर्टल का 11 ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट्स को डिजाइन करने के लिए इस्तेमाल कर रहा जिसके तहत 106 अरब डॉलर के भारतमाला प्लान को पूरा किया जा सके. सरकार के इस भारतमाला प्लान के अंतर्गत साल 2022 तक 83,677 किलोमीटर या 52,005 मील सड़कों का निर्माण कर लिया जाएगा.


टेक्नीक के इस्तेमाल से गति शक्ति मिशन पर आसान होगा काम
एक सरकारी एजेंसी 'इंवेस्ट इंडिया' का कहना है कि उदाहरण के तौर पर गति शक्ति के तहत सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि टेक्नीक के माध्यम से यह देखा जाए कि नई बनी सड़कें फोन केबल या गैस पाइपलाइन के लिए दोबारा ना खोदी जाएं. दूसरे विश्व युद्ध के बाद जैसे यूरोप ने काम किया या साल 1980 से 2010 के बीच चीन ने जैसा किया-कुछ कुछ उसी योजना की तरह से काम करने का विचार है. 


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