सोमवार को पेश किए गए बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऐलान किया कि जिन भी व्यक्तियों का कर्मचारी भविष्य निधि या पीएफ फंड में किसी वित्तीय वर्ष में 2.5 लाख रुपये या उससे ज्यादा का योगदान है उन्हें अब इस पर टैक्स देना होगा. यानी अब ये लोग पीएफ से मिलने वाले ब्याज पर कर छूट का दावा नहीं कर पाएंगे, यह प्रावधान एक अप्रैल से लागू हो जाएगा.


छूट को तार्किक बनाने के लिए उठाया गया कदम


बजट 2021-22 के मुताबिक जिनका भी किसी वित्तीय वर्ष में पीएफ में सालाना योगदान 2.5 लाख या उससे अधिक है उन्हें अब इसके ब्याज पर छूट नहीं मिलेगी. वित्त मंत्री ने कहा था कि कर छूट को तार्किक बनाने के लिए उच्च आय वाले कर्मचारियों के संबंध में ऐसा किया जा रहा है. बता दें कि वर्तमान में पीएफ के अंशदान पर मिलने वाले ब्याज पर किसी भी प्रकार का कोई आयकर नहीं है. वित्त मंत्री ने ये भी कहा कि आम कर्मचारी इससे प्रभावित नहीं होगा जिन्हें पीएफ के ब्याज पर कर छूट के साथ 8 फीसदी का रिटर्न मिल रहा है.


श्रमिक नहीं होंगे प्रभावित


बजट पेश किए जाने के बाद आयोजित की गई प्रेस कॉफ्रेंस में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ये भी कहा कि अगर किसी की इनकम करोड़ो में है और वह इसे पीएफ में डाल देता है तो सोचिए उसकी इनकम क्या होगी. ऐसे में इसका दुरुपयोग रोकने के लिए ही यह सीमा लगाई गई है.  वित्त मंत्री ने कहा कि पीएफओ श्रमिकों के कल्याण के लिए है और इस कदम से श्रमिक प्रभावित नहीं होंगे. यह केवल बड़े पैसे के लिए है, जो ईपीएफओ में आता है, जिसमें कर लाभ होता है और 8 प्रतिशत वापसी का आश्वासन भी दिया जाता है.


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