नई दिल्ली: पेट्रोल-डीजल की कीमत चाहे जितनी बढ़ जाए, लेकिन उसकी खपत पर कोई असर पड़ता नहीं दिख रहा है. कम से कम पेट्रोल-डीजल की खपत के ताजा आंकड़े तो यही बता रहे हैं. अकेले जनवरी के महीने में पेट्रोल की खपत 15 फीसदी और डीजल की खपत साढ़े 14 फीसदी से ज्यादा बढ़ी.


दूसरी ओर तेल कंपनियों का कहना है कि केवल कच्चे तेल के दाम घटने से ही पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमत में कमी नहीं आने वाली. क्योंकि कच्चे तेल के अलावा कई दूसरे तथ्य भी होते हैं जिनके आधार पर पेट्रोल-डीजल की खुदरा कीमत तय होती है. ध्यान रहे कि अब देश में हर रोज पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमत तय होती है और नयी कीमत हर दिन सुबह छह बजे से प्रभावी होती है.


खपत में बढ़ोतरी


हिंदुस्तान पेट्रोलियम के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक एम के सुराना ने जानकारी दी कि सभी तेल मार्केटिंग कंपनियों के पेट्रोल की बिक्री के आंकड़े देखे तो इस साल जनवरी के महीने में 15.6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई जबकि 2017 की जनवरी में बढ़ोतरी के बजाए 0.6 फीसदी की कमी देखी गयी थी. अब अगर अप्रैल से जनवरी के बीच की बात करें तो यहां पेट्रोल खपत की बढ़ोतरी दर 9 फीसदी से भी ज्यादा रही जबकि 2016-17 के पहले दस महीनों में बढ़ोतरी की दर 10 फीसदी के करीब थी.


यहां गौर करना जरुरी है कि पहली अप्रैल को दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 66.29 रुपये थी जो इस साल 31 जनवरी को 72.92 रुपये पर पहुंच गयी. 9 फरवरी यानी शुक्रवार को कीमत 73.35 रुपये थी. इस तरह पहली अप्रैल से 31 जनवरी के बीच पेट्रोल की कीमत में 10 फीसदी की तेजी देखने को मिली. अकेले जनवरी में ही दाम 4 फीसदी से ज्यादा बढ़े.


तेल कंपनियों की राय है कि आम तौर पर स्कूटर-मोटरसाइकिल और कार वगैरह के मामले में खपत कीमतों से प्रभावित नहीं होती. यहां ये भी ध्यान देने की बात है कि चालू कारोबारी साल में चार पहिया और दोपहिया दोनों ही वाहनों की बिक्री में बढ़ोतरी की दर दोहरे अंक में में रही है. इस वजह से भी पेट्रोल-डीजल की मांग बढ़ी और खपत में तेजी दर्ज की गयी.


डीजल की खपत जनवरी के महीने में 14.5 फीसदी बढ़ी जबकि बीते साल खपत 7.8 फीसदी की दर से घट गयी थी. चालू कारोबारी साल के पहले 10 महीने की बात करें तो यहां खपत में बढ़ोतरी की दर 2.6 फीसदी की बजाए 6.5 फीसदी रही. गौर करने की बात ये है कि 10 महीनों के दौरान डीजल के दाम 15 फीसदी से भी ज्यादा बढ़े.


पेट्रोल-डीजल के भाव


कुछ दिनों से कच्चे तेल के भाव घटे, लेकिन पेट्रोल-डीजल के खुदरा भाव नहीं घटे हैं. इस बारे में सुराना की दलील है कि खुदरा कीमत महज कच्चे तेल के भाव पर निर्भर नहीं करती. दरअसल, खुदरा कीमत तय करने में तीन तथ्यों की भूमिका होती है, पहला कच्चे तेल के इंडियन बास्केट की कीमत, दूसरा डॉलर और रुपये की विनिमय दर और तीसरा, अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोल-डीजल की कीमत. अब ऐसे में अगर दो या एक तथ्य अनुकूल नहीं रहे तो केवल कच्चे तेल के आधार पर खुदरा कीमत में उतार-चढ़ाव की चर्चा नहीं की जा सकती.


हिंदुस्तान पेट्रोलियम के नतीजे


तेल मार्केटिंग कंपनी ने चालू कारोबारी साल की तीसरी तिमाही (अप्रैल से दिसंबर) के दौरान अपनी बिक्री में 23 फीसदी की बढ़ोतरी का ऐलान किया है. इस दौरान कंपनी का मुनाफा 1590 करोड़ रुपये से बढ़कर 1950 करोड़ रुपये पर पहुंच गया. बेहतर नतीजों को देखते हुए कंपनी ने 10 रुपये सममूल्य वाले हरेक शेयर पर 14.50 रुपये की दर से लाभांश देने का फैसला किया है. इस फैसले का फायदा 1 लाख 83 हजार 537 निवेशको को मिलेगा जिसमें से 1.70 लाख छोटे निवेशक हैं.