नई दिल्ली: देश के नामचीन उद्योगपतियों में से एक मलविंदर मोहन सिंह और उनके छोटे भाई शिविंदर मोहन सिंह ने फोर्टिस अस्पताल के कंपनी बोर्ड से गुरुवार को इस्तीफा दे दिया. उन्होंने ही मिलकर फोर्टिस अस्पताल की आधारशिला रखी थी.


जब दोनों भाईयों ने बोर्ड ऑफ डायरेक्टर से इस्तीफा दिया तो उन्होंने लिखा कि हम भरोसा दिलाते है कि यह फैसला सही और सबके हित में है. वो आगे लिखते हैं कि इसका सीधा सा उद्देश्य संगठन को किसी भी भार से मुक्त करना है, जो प्रमोटरों से जुड़ा हो सकता है.


यह निर्णय प्रमोटरों की चल रही कानूनी लड़ाई से कंपनी को बचाने के लिए लिया गया. सूत्रों के मुताबिक, बैंक को कंपनी को सहयोग करने में कठनाईयां आ रही थी और इससे लोन देने को तैयार नहीं थे.


रैनबैक्सी कंपनी की शुरुआत कब हुई?


फोर्टिस कंपनी को साल 1990 में शिवेंदर मोहन सिंह ने अपने बड़े भाई के साथ मिलकर इसे खड़ा किया था. फिर कुछ मामलों के चलते साल 2008 में सिंह ब्रदर्स ने जापान की दवा कंपनी दईचो सांको को रैनबैक्सी के अपने 2.4 बिलियन हिस्सेदारी बेच दिए थे. फोर्टिस बोर्ड से इनके इस्तीफे के खबर ऐसे समय आई है जब दिल्ली हाई कोर्ट ने जापान की कंपनी दईचो सांको को 3,500 करोड़ देने की बात कही थी.