Economic Crisis: पाकिस्तान की इकोनॉमी चरमरा चुकी है. पड़ोसी मुल्क पर कर्ज के कुचक्र में फंस चुका है. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (SBP) ने जानकारी दी है कि उसका कुल कर्ज और देनदारी दिसंबर, 2023 तक 27.2 फीसदी बढ़कर 81.2 ट्रिलियन रुपये (131 अरब डॉलर) पहुंच गई है. पिछले एक साल में ही देश पर कर्ज 17.4 ट्रिलियन रुपये की वृद्धि हुई है. पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह आंकड़ा 63.83 ट्रिलियन रुपये था. 


आईएमएफ से मांगा है और कर्ज 


कर्ज का यह जंजाल अभी और गहरा होगा. पाकिस्‍तान ने आईएमएफ से एक और बेलआउट पैकेज मांगा है. साथ ही देश में राजनीतिक स्थिरता का माहौल भी नहीं आ पा रहा है. हाल ही में हुए आम चुनाव में देश में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला. ऐसे में पाकिस्तान इकोनॉमिक और पॉलिटिकल मोर्चे पर असफल होता दिखाई दे रहा है. स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के मुताबिक, यह स्थिति बनने की सबसे बड़ी वजह बाहरी कर्ज और ब्याज के पेमेंट हैं. आईएमएफ (IMF), एफडीआई और अन्य जगहों से मिले कर्ज 26.17 फीसदी बढ़कर 33.611 ट्रिलियन रुपये हो गए हैं. सिर्फ आईएमएफ का कर्ज ही 24.17 फीसदी बढ़कर 2.142 ट्रिलियन रुपये पहुंच गया है.


हर दिन औसतन 48 अरब रुपये का कर्ज बढ़ा 


जानकारी के अनुसार, कुल देनदारी 27.51 फीसदी बढ़कर 4.6 ट्रिलियन रुपये हो चुकी है. वित्त वर्ष 24 की पहली छमाही में कर्ज और देनदारी की सर्विसिंग 28.82 फीसदी का तेज उछाल लेकर लगभग 5.7 ट्रिलियन रुपये पहुंच गई है. पाकिस्‍तान पर द‍िसंबर 2022 से लगभग हर दिन औसतन 48 अरब रुपये का कर्ज बढ़ता चला गया.


आने वाली सरकार को झेलना होगा बड़ा संकट 


पहले से ही केयरटेकर सरकार (Pakistan Government) को झेल रहा देश अब नई सरकार के इंतजार में बैठा हुआ है. जेल में बैठे इमरान खान के समर्थक सबसे ज्यादा सीटें जीते हैं. मगर, सेना उन्हें देश की सरकार सौंपने के मूड में नहीं है. आने वाली सरकार के लिए सबसे बड़ा संकट यही कर्ज साबित होने वाला है. हाल ही में पाकिस्‍तान के वित्त मंत्रालय (Pakistan Finance Ministry) ने भी खुलासा किया था कि साल 2022-23 के बीच कर्ज बहुत ज्‍यादा बढ़ गया है.


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