Oil Export Excise Duty: घरेलू स्तर पर क्रूड ऑयल के प्रोडक्शन और फ्यूल एक्सपोर्ट पर अप्रत्याशित लाभ कर से सरकार को चालू वित्त वर्ष की बची हुई अवधि में करीब 12 अरब डॉलर (94,800 करोड़ रुपये) मिलेंगे. मूडीज इंवेस्टर्स सर्विस ने ये अनुमान जताते हुए कहा कि इसके साथ ही रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और ओएनजीसी जैसी कंपनियों के मुनाफे में कटौती होगी.


सरकार ने एक जुलाई को पेट्रोल, डीजल और विमानन ईंधन (एटीएफ) के एक्सपोर्ट पर और घरेलू स्तर पर क्रूड ऑयल के प्रोडक्शन पर अप्रत्याशित लाभ कर लगाया था. साथ ही एक्सपोर्टरों के लिए पहले घरेलू बाजार की जरूरतों को पूरा करना अनिवार्य कर दिया गया.


मूडीज ने नए टैक्स पर अपनी टिप्पणी में कहा कि, "कर वृद्धि से तेल और प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड (ओएनजीसी) और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) जैसे भारतीय क्रूड ऑयल के उत्पादकों और तेल एक्सपोर्टरों के मुनाफे में कमी आएगी."


सरकार की घोषणा के बाद भारतीय तेल कंपनियों को पेट्रोल और एटीएफ के एक्सपोर्ट पर छह रुपये प्रति लीटर (लगभग 12.2 डॉलर प्रति बैरल) और डीजल के एक्सपोर्ट पर 13 रुपये प्रति लीटर (लगभग 26.3 डॉलर प्रति बैरल) का भुगतान करना होगा. वहीं, क्रूड ऑयल की कीमतों में तेजी के चलते घरेलू उत्पादकों को 23,250 रुपये प्रति टन (करीब 38.2 डॉलर प्रति बैरल) का कर देना होगा.


रेटिंग एजेंसी ने कहा, "31 मार्च, 2022 को खत्म हुए वित्त वर्ष (2021-22) में भारत में क्रूड ऑयल के प्रोडक्शन और पेट्रोलियम उत्पादों के एक्सपोर्ट के आधार पर, हमारा अनुमान है कि सरकार वित्त वर्ष 2022-23 की बाकी अवधि में लगभग 12 अरब अमेरिकी डॉलर का अतिरिक्त राजस्व हासिल करेगी." इस अतिरिक्त रेवेन्यू से मई के अंत में पेट्रोल और डीजल के लिए उत्पाद शुल्क में की गई कमी के निगेटिव इफेक्ट को दूर करने में मदद मिलेगी.


मूडीज ने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि यह सरकारी उपाय अस्थायी होगा और करों को आखिर में बाजार की स्थितियों के अनुसार समायोजित किया जाएगा, जिसमें मुद्रास्फीति, बाहरी संतुलन और मुद्रा मूल्यह्रास से संबंधित विचार शामिल हैं."


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