SEZ: वाणिज्य मंत्रालय एक नए कानून के जरिये विशेष आर्थिक क्षेत्र (एसईजेड) के पुनर्गठन का प्रयास कर रहा है. एक अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि मंत्रालय विशेष आर्थिक क्षेत्र को फिर खड़ा करने के लिए कई प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रोत्साहनों मसलन आयात शुल्क को स्थगित करना और निर्यात करों से छूट का प्रस्ताव कर रहा है.


इस साल के आम बजट में सरकार ने विशेष आर्थिक क्षेत्रों का संचालन करने वाले मौजूदा कानून को एक नए कानून के साथ बदलने का प्रस्ताव रखा था ताकि राज्यों को ‘उद्यम और सेवा केंद्रों के विकास’ (देश) में भागीदार बनाया जा सके. अधिकारी ने कहा कि वाणिज्य मंत्रालय ने नए विधेयक पर वित्त समेत विभिन्न मंत्रालयों से राय मांगी है.


विभिन्न मंत्रालयों के विचार मिलने के बाद मंत्रालय इसपर केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी लेगा और फिर संसद में नया विधेयक लाया जाएगा. इन प्रस्तावों में एसईजेड की किसी यूनिट द्वारा घरेलू खरीद पर एकीकृत माल और सेवा कर (आईजीएसटी) की शून्य रेटिंग का प्रोत्साहन शामिल है. इसके अलावा इन क्षेत्रों के डेवलपर के लिए इनडायरेक्ट टैक्स को जारी रखने का भी प्रस्ताव है.


विनिर्माण और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए राज्य भी इन क्षेत्रों के लिए समर्थन उपाय कर सकते हैं. मौजूदा एसईजेड कानून 2006 में बना था. इसका मकसद देश में निर्यात केंद्र बनाना और विनिर्माण को प्रोत्साहन देना था.


SEZ किसी देश के भीतर ऐसे क्षेत्र हैं जो प्रायः शुल्क मुक्त (राजकोषीय रियायत) होते हैं. ये मुख्य रूप से निवेश को प्रोत्साहित करने तथा रोज़गार पैदा करने के लिये अलग-अलग व्यापार और वाणिज्यिक कानून होते हैं. SEZ इन क्षेत्रों को बेहतर ढंग से संचालित करने के लिये भी बनाए गए हैं, जिससे व्यापार करने में आसानी होती है. विशेष आर्थिक क्षेत्र अधिनियम साल 2005 में पारित किया गया और साल 2006 में SEZ नियमों के साथ लागू हुआ. 


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