पढ़ाई के लिए स्टूडेंट्स जितनी रकम लोन लेते हैं, उन रकम में से 9.95 प्रतिशत हिस्सा बैंकों का डूब जाता है. पालिर्यामेंट में दिए गए जवाब के मुताबिक 31 दिसंबर 2020 तक कुल एजुकेशन लोन में 3 लाख 66 हजार 260 खाते ऐसे रहे हैं जिन्होंने लोन का पैसा बैंकों को नहीं चुकाया. यानी 10 रुपये में बैंकों का 1 रुपया एजुकेशन लोन में डूब गया. बैकों ने इस रकम को नॉन परर्फोमिंग एसेट (एनपीए) के रूप में चिन्हित कर दिया है. स्टेट लेवल बैंकर कमिटी के आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर तक बैंकों का कुल 8,263 करोड़ रुपये एजुकेशन लोन जो 3.5 लाख खातों को दिए गए, उन्हें एनपीए के रूप में चिन्हित कर दिया गया है. दिसंबर तक बैंकों ने कुल 23.3 लाख खातों को 84,965 करोड़ एजुकेशन लोन दिए थे.


इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स ने बैंकों का पैसा सबसे ज्यादा डुबाया
पढ़ाई के लिए बैंकों से जितने स्टूडेंट्स लोने लेते हैं, उनमें सबसे ज्यादा इंजीनियरिंग के स्टूडेंट्स लोन को नहीं चुकाते. आंकड़ों के मुताबिक मेडिकल स्टूडेंट्स से ज्यादा एनपीए इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स के पास है. आंकड़ों के मुताबिक मेडिकल स्टूडेंट्स को 10,147 करोड़ रुपये लोन दिए गए जो कुल लोन का 11.9 प्रतिशत है जबकि 33,316 करोड़ रुपये इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स को लोन दिए गए जो कुल लोन का 39.2 प्रतिशत है. इसके अलावा 3675 करोड़ नर्सिंग स्टूडेंट्स को, 9,541 करोड़ रुपये एमबीए स्टूडेंट्स को और 28,286 करोड़ रुपये अन्य स्टूडेंट्स को लोन दिए गए. इंजीनियरिंग में कुल 1 लाख 76 हजार 256 बैंक खातों में 4041 करोड़ रुपए एनपीए हो गए.


बिहार के स्टूडेंट्स ने कम डुबाया बैंकों का पैसा
एजुकेशन लोन के नाम पर पैसा डुबाने में दक्षिण भारतीय स्टूडेंट्स आगे हैं. आंकड़ों के मुताबिक बिहार में जहां 9.7 प्रतिशत एजुकेशन लोन एनपीए के रूप में चिन्हित किया गया है वहीं तमिलनाडु में कुल एनपीए सबसे अधिक 14.2 प्रतिशत है. एजुकेशन लोन के एनपीए में दक्षिण का हिस्सा 11. 9 प्रतिशत, उत्तर का हिस्सा 3.3 प्रतिशत, पश्चिम का हिस्सा 3.3 प्रतिशत, मध्य का हिस्सा 6.1 प्रतिशत और पूर्वोत्तर का हिस्सा 6.8 प्रतिशत है.


किसे मिलता है लोन
उच्च शिक्षा के लिए भारत में सरकारी बैंक स्टूडेंट्स को लोन देते हैं. लोन पर ब्याज की अधिकतम दर 3 प्रतिशत होती है. इसके अलावा उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने वाले भारतीय स्टूडेंट्स को भी लोन मिलता है. लोन के लिए आवेदक को 12वीं पास होना जरूरी है. जरूरत के हिसाब से बैंक पढ़ाई पर सौ फीसदी तक लोन दे सकता है. भारत में पढ़ाई के लिए लोन की रकम का पांच प्रतिशत और विदेश में पढ़ाई के लिए 15 प्रतिशत मार्जिन मनी की जरूरत होती है.


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