टैक्स में छूट के लिए निवेशकों का एक पसंदीदा निवेश इंस्ट्रूमेंट्स होता है, और वह है टैक्स सेविंग्स बॉन्ड. दरअसल बॉन्ड दो तरह के होते हैं- एक टैक्स सेविंग्स बॉन्ड और दूसरा टैक्स फ्री बॉन्ड. ये दोनों बॉन्ड निवेशकों के पसंदीदा हैं. लेकिन अमूमन निवेशक इन्हें लेकर भ्रम में रहते हैं. आइए जानते हैं कि टैक्स फ्री और टैक्स सेविंग्स बॉन्ड में  क्या अंतर है.


लॉक-इन पीरियड


टैक्स सेविंग्स बॉन्ड में पांच साल का लॉक-इन पीरियड होता है वहीं टैक्स फ्री बॉन्ड में कोई लॉक इन पीरियड नहीं होता है. टैक्स सेविंग्स बॉन्ड में निवेश पर इनकम टैक्स सेक्शन 80CCF के तहत 20 हजार रुपये तक का डिडक्शन लाभ मिलता है. इसका मतलब आपकी कर योग्य आय 20 हजार कम हो जाती है. यानी आपको अपनी तनख्वाह में से 20 हजार कम की रकम पर टैक्स देना होता है. यह लाभ 80 सी के तहत मिलने वाले डेढ़ लाख रुपये तक टैक्स लाभ के ऊपर होता है. हालांकि बॉन्ड के जरिये जो ब्याज मिलता है उस पर टैक्स देना होता है. टैक्स सेविंग्स बॉन्ड उन निवेशकों के लिए अच्छा विकल्प है, जो कम जोखिम लेना चाहते हैं. जो लोग शॉर्ट टर्म निवेश कर लाभ कमाना चाहते हैं, उन्हें इनमें निवेश नहीं करना चाहिए.


टैक्स-फ्री बॉन्ड


टैक्स फ्री बॉन्ड का मतलब होता है कि बॉन्ड से हासिल ब्याज पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. टैक्स फ्री बॉन्ड पर टैक्स सेविंग्स बॉन्ड से थोड़ा ब्याज मिलता है.इनकी अवधि 20 साल तक होती है और निवेशक इनमें पांच लाख रुपये तक निवेश कर सकते हैं. टैक्स फ्री बॉन्ड शेयर मार्केट में भी लिस्टेड होते हैं. इन बॉन्ड को बेचने पर कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है लेकिन ब्याज पर टैक्स नही लगता है. हालांकि यह याद रखना चाहिए कि इन बॉन्ड पर टैक्स छूट का लाभ इस पर निर्भर है कि आप किस टैक्स स्लैब में आते हैं.


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