Minimum Pension Benefit: मध्य प्रदेश में भी सरकारी कर्मचारी पुराने पेंशन स्कीम की बहाली की मांग कर रहे हैं. उनकी ये मांगे राज्य में इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के नतीजों पर असर डाल सकती है. इसे भांपते हुए मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने सरकारी कर्मचारियों को रिझाने की तैयारी में है.  मध्य प्रदेश सरकार 2005 के बाद प्रदेश में सरकारी नौकरियां पाने वाले 4.50 लाख अफसरों और कर्मचारियों को न्यूनतम पेंशन की गारंटी दे सकती है. 


मध्य प्रदेश में लागू राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (National Pension System) को कर्मचारियों के लिए आकर्षक बनाने के लिए प्रदेश के अपर मुख्य सचिव वित्त की अध्यक्षता में वरिष्ठ अधिकारियों की एक समिति गठित कर दी गई है. ये कमिटी एनपीएस में न्यूनतम पेंशन की गारंटी तय किए जाने के प्रावधान पर मंथन करेगी. जिन चार प्रदेशों में चुनाव है उसमें से राजस्थान और छतीसगढ़ की कांग्रेस सरकार पहले ही अपने प्रदेशों में नेशनल पेंशन स्कीम की जगह फिर से ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू कर चुकी है. केंद्र सरकार ने एक जनवरी 2004 के बाद सेवा में आने वाले कर्मचारियों के लिए एनपीएस को लागू किया था. जबकि मध्य प्रदेश में एनपीएस को 1 जनवरी 2005 से लागू किया गया. 


कांग्रेस शासित राजस्थान, छत्तीसगढ़ और हिमाचल प्रदेश की सरकार एनपीएस से अलग होकर अपने प्रदेशों में फिर से ओल्ड पेंशन स्कीम को लागू कर चुकी हैं. मध्य प्रदेश की सरकार चुनावों के मद्देनजर पुरानी पेंशन की मांग कर रहे कर्मचारियों की नाराजगी को दूर करने के लिए एनपीएस में संशोधन करने पर विचार कर रही है. 


बुधवार को खबर आई थी कि ओल्ड पेंशन स्कीम की बढ़ती मांग के बीच केंद्र सरकार भी अपने कर्मचारियों को न्यूनतम पेंशन देने का फैसला ले सकती है. केंद्र सरकार कर्मचारियों के रिटायरमेंट से पहले आखिरी सैलेरी का 40 से 45 फीसदी राशि के तौर पर न्यूनतम पेंशन देने का भरोसा दे सकती है. ये माना जा रहा है कि कर्मचारियों को केंद्र सरकार मौजूदा मार्केट लिंक्ड पेंशन स्कीम में बदलाव कर सकती है जिससे एनपीएस को लेकर केंद्रीय कर्मचारियों में नाराजगी को कम किया जा सके.  केंद्र सरकार नेशनल पेंशन स्कीम की समीक्षा के लिए  वित्त सचिव की अध्यक्षता में कमिटी बना चुकी है. ये कमिटी एनपीएस को आकर्षक बनाने को लेकर सरकार को अपने सुझाव सौपेंगी. 


मौजूदा एनपीएस में कर्मचारियों को बेसिक सैलेरी का 10 फीसदी योगदान करना होता है और 14 फीसदी योगदान सरकार देती है. और एनपीएस में निवेश पर कमर्चारियों को मिलने वाला रिटर्न कुल कॉरपस पर मिलने वाले रिटर्न्स पर निर्भर करता है. सरकारी कर्मचारियों का एनपीएस में किया गया निवेश सरकार के डेट में निवेश किया जाता है. ओल्ड पेंशन स्कीम में कर्मचारी के रिटॉयरमेंट से पहले मिलने वाली आखिरी सैलेरी का 50 फीसदी राशि रिटायरमेंट के बाद फिक्स्ड पेंशन के तौर पर दिया जाता है. 


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