Adani Ports: भारत में पब्लिक सेक्टर की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी LIC (भारतीय जीवन बीमा निगम) ने अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनॉमिक जोन के 5,000 करोड़ रुपये के नॉन-कन्वर्टिबल डिबेंचर इश्यू को पूरी तरह से खरीद लिया है. इसे आसान भाषा में कहे तो एलआईसी ने अडानी पोर्ट्स को 5 हजार करोड़ का लोन दिया है.  

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कंपनी अपनी पूंजीगत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए NCD जारी करती है और इसके बदले निवेशक को ब्याज का भुगतान करती है. यह एक लिमिटेड पीरियड के लिए होता है, जिसके खत्म हो जाने पर निवेशक को अपना कैपिटल अमाउंट वापस मिल जाता है. 

15 साल बाद LIC को लौटाने होंगे पूरे पैसे

यह बॉन्ड 15 साल का है, जिस पर सालाना 7.75 परसेंट का ब्याज चुकाना होगा. यानी कि 15 साल बाद अडानी पोर्ट्स को पूरे 5,000 करोड़ रुपये एलआईसी को वापस कर देने होंगे और तब कंपनी 7.75 परसेंट की दर से सालाना ब्याज का भुगतान करेगी.  इस रकम का इस्तेमाल कंपनी अपने पुराने लोन को चुकाने और कारोबार को आगे बढ़ाने के लिए करेगी.

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द इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, LIC के पास पहले से ही अडानी पोर्ट्स में 8.06 परसेंट की हिस्सेदारी है. अडानी ग्रुप इन दिनों लोन चुकाने की समयसीमा को बढ़ाने और कम इंटरेस्ट रेट पर लोन लेने की कोशिश में जुटा हुआ है. इन्हीं कोशिशों के चलते उनका औसत ब्याज दर वित्त वर्ष 25 में 7.92 परसेंट तक कम हो गया, जो पिछले साल 9.02 परसेंट था. एलआईसी ने FY25 के अंत तक  कॉरपोरेट बॉन्ड में 80,000 करोड़ रुपये का निवेश किया था. 

अडानी पोर्ट्स पर इतना है कर्ज

वहीं, 31 मार्च तक अडानी पोर्ट्स पर 36,422 करोड़ रुपए का कर्ज था. जबकि Ebitda 20,471 करोड़ रुपये था. इससे इसका नेट डेब्ट-टू-एबिटा रेश्यो घटकर 1.78 गुना रह गया, जो पिछले साल के 2.3 गुना से बेहतर है. अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकनॉमिक जोन का लक्ष्य वित्त वर्ष 2030 तक अपने कार्गो हैंडलिंग को दोगुना से अधिक बढ़ाकर 1 बिलियन टन करने का है. इसके चलते कंपनी लॉजिस्टिक्स और मरीन सर्विसेज में निवेश को बढ़ा रही है. 

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