Layoffs 2023 Companies: दुनियाभर में कई बड़ी-बड़ी कंपनियों में कर्मचारियों को निकालने का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है. आर्थिक मंदी और रेवेन्यू के अभाव का हवाला देकर कंपनियां आए दिन अपने कर्मचारियों को बाहर कर रही हैं. फेसबुक (Facebook), ट्विटर (Twitter) के बाद अब रसायन बनाने वाली अमेरिकी कंपनी डो (Dow) अपने कर्मचारियों को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखाने जा रही है. जानिए कितने कर्मचारियों पर गिरेगी गाज.....


दो हजार कर्मचारियों पर गिरेगी गाज


खबर है कि रसायन बनाने वाली अमेरिकी कंपनी डो दुनियाभर में लगभग 2,000 कर्मचारियों को नौकरी से बाहर करेगी. हालांकि यह संख्या दुनियाभर में कार्यरत कंपनी के कुल कर्मचारियों का 5 प्रतिशत है. रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने खर्च में इस साल एक अरब डॉलर कटौती का लक्ष्य रखा है, और यह कदम उसी का हिस्सा है.


चौथी तिमाही में इतनी रही शेयर की चाल


मिशिगन में मिडलैंड स्थित कंपनी में फिलहाल लगभग 37,800 लोग नौकरी करते हैं. हालांकि डो ने आंकड़ा नहीं दिया है. डो का कहना है कि वह यूरोप पर ध्यान केंद्रित करने के लिए परिसंपत्तियों का आंकलन करेगी. कंपनी ने चौथी तिमाही में 61.3 करोड़ डॉलर या 85 सेंट प्रति शेयर का लाभ अर्जित किया गया था.


SAP करेगी कर्मचारियों की छंटनी


वहीं दूसरी और वाल्डोर्फ बेस्ड ग्रुप SAP पारंपरिक सॉफ्टवेयर और क्लाउड-आधारित कंप्यूटिंग सेवाएं प्रदान करता है. SAP कंपनी का कहना है कि उसने अपने कोर बिजनेस को मजबूत करने और दक्षता में सुधार करने के लिए टारगेटेड रीस्ट्रक्चर प्रोग्राम करने की योजना बनाई है. साल 2022 के लिए पूरे साल के नतीजों का खुलासा करते हुए एक कमाई रिपोर्ट (Earning Report) में कहा कि इस कार्यक्रम से SAP के लगभग 2.5 प्रतिशत कर्मचारियों को निकाले जाने की उम्मीद है. दुनिया भर में SAP के पास लगभग 120,000 कर्मचारियों का कार्यबल है. जिनमें से कंपनी लगभग 3,000 कर्मचारियों की छंटनी करने की योजना बना रही है.


4 में से 3 को मुद्रास्फीति की चिंता


यह कदम टेक दिग्गज मेटा (Meta), अमेज़ॅन (Amazon), गूगल (Google), आईबीएम (IBM) और माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) द्वारा घोषित छंटनी के बाद आया है. वहीं, एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि, 4 में से 3 लोगों को बढ़ती मंहगाई को लेकर चिंता सता रही है. वे इससे निपटने के लिए कई निर्णयात्मक कदम उठाने के बारे में सोच रहे हैं. 4 में से 3 भारतीयों को नौकरी जाने का डर लग रहा है. इसमें समृद्ध वर्ग (Rich Class) में (32 प्रतिशत), 36-55 वर्ष के आयुवर्ग में (30 प्रतिशत) और वेतनभोगी वर्ग (30 प्रतिशत) में काफी अधिक है.


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