Loan Rejection Reasons: कभी न कभी सभी को पैसों की आवश्यकता पड़ती है. ऐसे में अधिकांश लोग बैंक में लोन के लिए आवेदन करते हैं. आपको लोन दिलाने में आपका सिबिल स्कोर बहुत अहम भूमिका निभाता है. आमतौर पर जिनका सिबिल स्कोर अच्छा होता है उन्हें लोन मिलने में कोई खास परेशानी नहीं होती है. लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं है कि आपका अच्छा सिबिल स्कोर लोन मिल जाने की गारंटी है.


कई बार ऐसा भी होता है कि आपका लोन आवेदन अच्छा सिबिल स्कोर होने के बावजूद रिजेक्ट हो जाता है. आज हम आपको बताएंगे कि ऐसा क्यों होता है. हालांकि उससे पहले समझ लें कि अच्छा सिबिल स्कोर किसे कहा जाता है:-



  • CIBIL स्कोर 300 से 900 के बीच होता है.

  • 300-579 तक का सिबिल स्कोर खराब माना जाता है.

  • 580-669 तक का संतोषजनक होता है.

  • 670-739 तक का अच्छा माना जाता है.

  • 740-799 तक का बहुत अच्छा होता है.

  • 800-850 तक का स्कोर सर्वोत्तम होता है.


अच्छे सिबिल स्कोर के बाद भी इन वजहों से रिजेक्ट हो सकता है आपका लोन आवेदन


अधिक उम्र
लोन का आवदेन करते वक्त आपकी उम्र काफी मायने रखती है. वित्तीय संस्थान उन लोगों को लोन देने में अतिरिक्त सावधानी बरतते हैं जिनकी आय रिटायरमेंट के करीब होती है. रिटायरमेंट के करीब पहुंचे लोगों के पास नियमित आय का जरिया सीमित होता है. ऐसे में कर्जदाता को लगता है कि रिटायर होने के बाद लोन लेने वाला ईएमआई भरने में समर्थ नहीं रह पाएगा. यही वजह है कि ऐसे लोगों का आवेदन अच्छे सिबिल स्कोर के बाद भी रद्द हो जाता है.


कम आय
सिबिल स्कोर अच्छा होने पर भी कम आय आपको लोन न मिलने का एक कारण हो सकता है. वित्तीय संस्थान लोन देने से पहले आवदेक की कर्ज चुकाने की क्षमता का आकलन करता है. आवदेक को कर्जदाता के सामने अपनी आय का ब्योरा देना होता है. वित्तीय संस्थान यह देखते हैं कि लोन आवेदक की आय कितनी है, आमदनी का जरिया कितना स्थिर है, आवेदक पर कितने लोग आश्रित हैं. यदि आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा है, लेकिन मासिक आय कम है, तो आपके लोन आवेदन के रद्द होने की संभावना बढ़ जाती है.


अस्थिर जॉब
अगर आप एक ही जगह पर स्थिर होकर काम कर रहे हैं तो आपको लोन मिल जाएगा. अगर आपकी जॉब स्थिर नहीं है तो अच्छे सिबिल स्कोर के बाद भी आपका लोन आवेदन रिजेक्ट हो सकता है. वित्तीय संस्थान आवदेक से कम से कम दो साल के वर्क एक्सपीरिएंस की मांग करते हैं. यह मांग इसलिए की जाती है ताकि आवेदक के रोजगार की स्थिति का आंकलन किया जा सके और डिफॉल्ट के जोखिम को कम किया जा सके.


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