India Crude Oil Update: रूस से सस्ते दामों पर कच्चा तेल खऱीदने के चलते देश की ऑयल रिफाइनरी कंपनियों को जबरदस्त फायदा हुआ है. सस्ते दामों पर कच्चा तेल आयात करने के चलते इन कंपनियों को 14 महीने में 7 बिलियन डॉलर की बचत हुई है. ये अलग बात है कि सस्ते कच्चे तेल के आयात के बावजूद भारतीय उपभोक्ताओं को सस्ते दामों पर पेट्रोल डीजल नसीब नहीं हो सका. 


रूस के यूक्रेन पर हमले के चलते जब अमेरिका यूरोप के रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिया तब रूस ने अपने अर्थव्यवस्था को किसी भी बाहरी झटके से बचाने के लिए भारत को सस्ते में कच्चा तेल बेचने का ऑफर दिया. तब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम आसमान छू रहे थे. भारत ने इस ऑफर को हाथों हाथ लपक लिया. इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसका नतीजा ये है कि पिछले 14 महीने अप्रैल 2022 से लेकर मई 2023 के बीच देश की ऑयल रिफाइनिंग कंपनियों को सस्ते में रूस से कच्चा तेल खरीदने के चलते  7 अरब डॉलर के करीब विदेशी मुद्रा की बचत हुई है.


भारत कच्चे तेल का दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा आयातक देश है. भारत अपने खपत के 85 फीसदी ईंधन जरुरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है. रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम 139 डॉलर प्रति बैरल तक जा पहुंचा था. इसके बाद भारत ने सस्ते दामों पर रूस से कच्चा तेल आयात करना शुरू किया. पहले रूस भारत को बेहद कम कच्चा तेल निर्यात किया करता था. लेकिन इस डिस्काउंट के चलते रूस भारत को कच्चा तेल बेचने वाला सबसे बड़ा सप्लायर बन गया. 


रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल 2022 से लेकर मई 2023 के बीच भारत का कुल कच्चा तेल आयात का बिल 186.45 बिलियन डॉलर रहा है. अगर भारत ने दूसरे सप्लायर देश से इसी कच्चे तेल को आयात किया होता तो भारत को 196.62 बिलियन डॉलर रकम क भुगतान करना पड़ता. भारत ने रूस ने 40 बिलियन डॉलर के वैल्यू का कच्चा तेल आयात किया है. भारत को ये क्रूड ऑयल 79.75 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर मिला है जो कि दूसरे देशों के औसत कीमत से 14.5 डॉलर प्रति बैरल सस्ता है. 


इन 14 महीनों में भारत के कुल इंपोर्ट में रूस की हिस्सेदारी 24.2 फीसदी रही. रूस ने कुछ ही समय में इराक और सऊदी अरब जैसे सप्लायर देशों की जगह ले ली जो भारत को सबसे ज्यादा कच्चा तेल सप्लाई किया करते थे. 


ये भी पढ़ें 


Inflation Impact On India: बढ़ती कीमतों और कमरतोड़ महंगाई का असर, भारतीय परिवार खरीद रहे फूड प्रोडक्ट्स के छोटे पैक और पाउच