Shimla News: हिमाचल प्रदेश के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल (Rajiv Saizal) ने सुक्खू सरकार पर निशाना साधा है. डॉ. राजीव सैजल ने कहा कि सत्ता में आते ही कांग्रेस (Congress) ने करीब एक हजार संस्थानों को बंद कर दिया. उन्होंने कहा कि संस्थानों को बंद करना सरकार का काला कारनामा है और यह पूरी तरह तानाशाही आदेश है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) ने जब संस्थान बंद करने का फैसला लिया, तब मंत्रिमंडल का गठन भी नहीं हुआ था. ऐसे में यह फैसला पूरी तरह गलत है.


पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल ने कहा कि जिन संस्थानों को सरकार ने बंद किया है, उनमें ज्यादातर शिक्षण संस्थान शामिल है. शिक्षण संस्थान बंद करने के पीछे युक्तिकरण को आधार बताया जा रहा है, जो सरासर गलत है. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार के शिक्षा मंत्री का वह बयान जिसमें युक्तिकरण के आधार पर संस्थान बंद करने की बात कही, वह बेबुनियाद है. भाजपा इसका विरोध करती है.



BJP ने कांग्रेस को दिखाया आईना


पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल ने कांग्रेस को जमकर आड़े हाथों लिया. हिमाचल प्रदेश के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डॉ. राजीव सैजल ने कांग्रेस को उनके नेता वीरभद्र सिंह की भी याद दिलाई. डॉ. राजीव सैजल ने कहा कि वीरभद्र सिंह कहा करते थे कि यदि स्कूल दो बच्चों के लिए भी खोलना पड़े, तो खोला जाना चाहिए. डॉ. राजीव सैजल ने हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह से सवाल पूछा है कि क्या वर्तमान सरकार वीरभद्र सिंह के संकल्प और सोच के खिलाफ है? उन्होंने कहा कि जिन वीरभद्र सिंह की वजह से सत्ता में आई है, आज उन्हीं के सिद्धांतों के खिलाफ चलने का काम कर रही है. पूर्व स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इन दिनों कांग्रेस के संगठन और सरकार में द्वंद चल रहा है और इस द्वंद की वजह से आम जनता पिस रही है.


सुक्खू सरकार ने लिया था फैसला


गौरतलब है कि दिसंबर महीने में सत्ता परिवर्तन होने के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अप्रैल 2022 के बाद खोले गए संस्थानों को बंद करने का फैसला लिया था. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा था कि इससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर पांच हजार का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. साथ ही उन्होंने यह भी आरोप लगाए थे कि पूर्व जयराम सरकार ने इन संस्थानों को केवल चुनाव में फायदा लेने के लिए खोला था. इसी वजह से इन संस्थानों को बंद किया जा रहा है. हालांकि बाद में सरकार ने कई ऐसे संस्थानों को दोबारा भी शुरू किया, जिसकी सरकार को आवश्यकता महसूस हुई. पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर का इस बारे में तर्क था कि सरकार को सभी संस्थानों की समीक्षा करने के बाद ही कोई फैसला लेना चाहिए था. संस्थान बंद किए जाने को लेकर हिमाचल प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान भी जमकर हंगामा देखने को मिला था.