India Fiscal Deficit Data: देश का वित्तीय घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है. वित्त वर्ष 2022- 23 के पहले 8 महीनों में राजकोषीय घाटा बढ़कर 9.78 लाख करोड़ रुपये रहा है जो सरकार के पूरे साल के लक्ष्य का 58.9 फीसदी है. बीते वित्त वर्ष में समान अवधि में रोजकोषीय घाटा 46.2 फीसदी रहा था. सरकार ने ये आंकड़े जारी किए हैं. 


इस अवधि में सरकार का राजस्व बढ़कर 14.65 लाख करोड़ रुपये जा पहुंचा है जबकि सरकार का खर्च 24.43 लाख करोड़ रुपये रहा है. ये मौजूदा वित्त वर्ष के बजट के लक्ष्य का 64.1 फीसदी और 61.9 फीसदी है. जिसमें रेवेन्यू से राजस्व 14.23 लाख करोड़ रुपये रहा है. इसमें 12.25 लाख करोड़ रुपये टैक्स से और 1.98 लाख करोड़ रुपये गैर-टैक्स से रेवेन्यू प्राप्त हुआ है. टैक्स रेवेन्यू बजट के लक्ष्य का 63.3 फीसदी को गैर-टैक्स रेवेन्यू 73.5 फीसदी रहा है. जो बीते साल समान अवधि में रहे 73.5 फीसदी और 91.8 फीसदी से कम है. 


इस वर्ष मई 2022 में अँतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में भारी बढ़ोतरी के प्रभाव को कम करने के लिए सरकार ने पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी में कटौती की थी जिससे सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ था. तो पीएम उज्जवला योजना के तहत एक साल में 200 रुपये की सब्सिडी वाले 12 सिलेंडर देने के प्रावधान करने के साथ ही फर्टिलाइजर सब्सिडी बढ़ाई गई थी जिससे घाटा बढ़ा है. 


माना जा रहा है कि सरकार द्वारा मौजूदा वित्त वर्ष में किए जाने वाले अतिरिक्त खर्च के चलते राजकोषीय घाटा सरकार के अनुमान से 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रह सकता है. केंद्र सरकार ने सड़क से रेलवे तक आधारभूत ढांचे को मजबूत करने के लिए कैपिटल एक्सपेंडिचर पर होने वाले खर्च में 40 फीसदी की बढ़ोतरी की है जिसके चलते भी घाटा बढ़ा है. सरकार ने इन आठ महीनों में फूड, फर्टिलाइजर और पेट्रोलियम पदाथों के सब्सिडी पर 3.01 लाख करोड़ रुपये खर्च किया है जो कि पूरे साल के बजट का 95 फीसदी है. जबकि बीते साल समान अवधि में ये 69 फीसदी रहा था. 


वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए कहा था कि भारत अपने वित्तीय घाटे को जीडीपी का 6.4 फीसदी मौजूदा वित्त वर्ष में रखने का प्रयास करेगा.   


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