Indian Economy: भारत दुनिया की पांचवीं अर्थव्यवस्था बन चुका है और 2027 तक तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है. वित्त वर्ष 2023-24 की तीसरी तिमाही अक्टूबर - दिसंबर में 8.4 फीसदी के दर से अर्थव्यवस्था ने ग्रोथ दिखाया है. भारतीय अर्थव्यवस्था के तेज गति से विकास करने के तो वैसे कई कारण हैं लेकिन इकोनॉमी का फॉर्मलाइजेशन (Formalization Of Economy) और खपत में इजाफा ( Increased Consumption) दो प्रमुख कारणों में गिना जाता है.  


GDP में खपत का 60% योगदान 


भारत में बढ़ते खपत और उसमें आ रहे बदलावों को लेकर सीएमएस कंजम्प्शन रिपोर्ट 2024 (CMS Consumption Report 2024) जारी हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक घरेलू खपत का देश की जीडीपी में 60 फीसदी योगदान है और ये माना जा रहा है कि 2030 तक ये बढ़कर 4 ट्रिलियन डॉलर हो जाएगा. घरेलू खपत में ये इजाफा 140 करोड़ की आबादी के दम पर देखने को मिलेगा जो कि दुनिया के किसी भी समृद्ध अर्थव्यवस्था वाले देश की जनसंख्या के मुकाबले सबसे युवा है. 


बढ़ रही अपर-मिडिल हाई-इनकम सेगमेंट वालों की संख्या


रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले दिनों में भारत में खपत में बढ़ोतरी, अपर-मिडिकल क्लास इनकम सेगमेंट और हाई-इनकम सेगमेंट में भारी ग्रोथ के चलते आएगा. फिलहाल 4 में एक हाउसहोल्ड इस कैटगरी में आता है. लेकिन रिपोर्ट में बताया गया है कि 2030 में 2 में से एक हाउसहोल्ड इस कैटगरी में आ जाएगा. भारत के नागरिकों की बचत ऐतिहासिक उच्च स्तर पर है. भारतीय परिवार अपने आय का पांचवां हिस्सा संकट वाले समय के लिए बचा कर रखते हैं. घरेलू बचत का ये भंडार संकट वाले दिनों में घरेलू खपत को सपोर्ट कर इकोनॉमिक एक्टिविटी को गति देने में मदद करती है. 


कैश और डिजिटल पेमेंट दोनों ही महत्वपूर्ण 


रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में खपत को बढ़ावा देने में डिजिटल पेमेंट के साथ नगद ट्रांजैक्शन दोनों ही सपोर्ट करता है. डिजिटल पेमेंट के मामले में आधार (Aadhar) और यूपीआई (UPI) की बदौलत भारत दुनिया में बेहद आगे निकल चुका है. क्रेडिट कार्ड (Credit Cards) ने जितना समय लिया उससे भी कम समय में मोबाइल बेस्ड पेमेंट की स्वीकार्यता बढ़ी है. अपने फाइनेंशियल इकोसिस्टम के दो प्रमुख कॉम्पोनेंट कैश और डिजिटल पेमेंट की बदौलत भारत उच्च ग्रोथ की पटरी पर सरपट दौड़ रहा है. 


7 साल में 3 गुना बढ़ा कैश सर्कुलेशन


डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए 2016 में यूपीआई को लॉन्च किया गया. इसके बावजूद वित्त वर्ष 2016-17 से लेकर  2023-24 के दौरान कैश इन सर्कुलेशन (Cash In Circulation) 13.35 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 7 वर्षों में 3 गुना 35 लाख करोड़ रुपये हो चुका है. 15 फीसदी की रफ्तार से कैश सर्कुलेशन बढ़ा है. ऐसे में सीएमएस कंजम्प्शन रिपोर्ट 2024 में कहा गया है कि अर्थव्यवस्था के लिए ये जरूरी है कि पेमेंट इकोसिस्टम में सभी प्रकार के ट्रांजैक्शन के तरीकों को बढ़ने दिया जाए. कैश पेमेंट, मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक और दूसरे तरीकों के डिजिटल पेमेंट को कॉम्प्लीमेंट करने का कार्य करता है. भारत जैसे देश की इकोनॉमी जो खपत के आधार पर चलती है वहां पर अर्थव्यवस्था के बेहतर सेहत के लिए खर्च करने की क्षमता बहुत प्रभावित करती है. 


हाई ग्रोथ का नागरिकों को लाभ 


भारत ग्लोबल पावर हाउस बन रहा है तो हाई ग्रोथ से उसके नागरिकों को बेहद फायदा हो रहा है. वे आर्थिक तौर समृद्ध हो रहे हैं, उनकी आय बढ़ रही है तो खपत करने की प्रवृति भी तेजी के साथ बढ़ रही है. समृद्धि आने से बड़ी संख्या में लोग इनकम के मामले में निचले पायदान से निकलकर मध्यम वर्ग की श्रेणी में आ रहे हैं. उपभोग करने वाले भारतीयों की बढ़ती तादाद के चलते सेविंग्स से लेकर खर्च करने की प्रवृति दोनों ही बढ़ेगी. 


किस सेक्टर्स में बढ़ा खपत 


ऐसे में रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि भारतीय सबसे ज्यादा किस चीज की खपत कर रहे हैं. पांच ऐसे रिटेल सेक्टर्स हैं जिसमें सबसे ज्यादा खपत देखने को मिला है. उसपर नजरें डालें तो वित्त वर्ष 2022-23 में सबसे ज्यादा पेट्रोलियम, मीडिया और एंटरटेनमेंट, रेलवे, एविएशन और फुटवीयर जैसे सेक्टर्स में खपत देखने को मिला था. जबकि 2023-24 में मीडिया और एंटरटेनमेंट, एफएमसीजी, रेलवे, एविएशन और ड्यूरेबल्स में सबसे ज्यादा खपत देखने को मिला है.   


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