Guru Dutt Film: एक्टर और डायरेक्टर गुरु दत्त टैलेंटेड स्टार थे. गुरु दत्त को स्टोरीटेलिंग का मास्टर कहा जाता है. गरु दत्त ने फिल्मों में अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया. एक्टर ने अपने करियर में बहुत स्ट्रगल किया. उन्होंने शुरुआत में कोरियोग्राफर, असिस्टें डायरेक्टर के तौर पर काम किया था. 


गुरु दत्त ने करियर की शुरुआत में प्रभात फिल्म कंपनी में काम किया. वो स्टूडियो में कोरियोग्राफर थे. इसके साथ ही उन्होंने असिस्टेंट डायरेक्टर और एक्टर का रोल भी निभाया.


जब गुरु दत्त को पिटता देख रोने लगे घरवाले


प्रोड्यूसर-डायरेक्टर और राइटर नसरीन मुन्नी कबीर ने अपनी किताब 'गुरु दत्त हिंदी सिनेमा का एक कवि' में लिखा कि गरु दत्त ने प्रभात फिल्म कंपनी की कुछ बी ग्रेड फिल्मों में काम किया था. उनके रोल्स काफी छोटे थे, केवल घरवाले ही उन्हें पहचान पाते थे.  गरु दत्त का परिवार उन्हें फिल्म में देखकर काफी खुश थे. लेकिन जब एक सीन में उन्होंने गुरु दत्त को पिटते हुए देखा तो वो बहुत परेशान हो गए थे. दरअसल, गुरु दत्त को एक सीन के लिए खंभे से बांधकर पीटा गया था, ये सीन देखकर उनके घरवालों की आंखों में आंसू थे.


बता दें कि गुरु दत्त पहली बार स्क्रीन पर फिल्म लखरानी में दिखे थे. ये फिल्म 1945 में आई थी. इस फिल्म में वो लक्ष्मण के रोल में थे. 1946 में उन्होंने असिस्टेंट डायरेक्टर और कोरियोग्राफर के तौर पर फिल्म हम एक  हैं में काम किया. 


इन फिल्मों में नजर आए गुरु दत्त
उन्होंने बाजी, जाल, आर पार, मिस्टर एंड मिसेज 55, सीआईडी, सैलाब, प्यासा, 12 O'Clock , कागज के फूल, चौदहवीं का चांद, साहिब बीबी और गुलाम, सौतेला भाई, भरोसा, सुहागन, सांझ और सवेरा और बहारें फिर भी आएंगी.


बता दें कि गुरु दत्त अपनी फिल्मों को लेकर काफी सीरियस हुआ करते थे. उनकी फिल्म प्यासा को फैंस आज भी सराहते हैं. इस फिल्म को उन्होंने डायरेक्ट किया था और लीड रोल भी प्ले किया था. वो फिल्म के एक-एक सीन में जान डालने की कोशिश करते थे. सिनेमेटोग्राफर वी के मूर्ति ने बताया था कि इस फिल्म के लिए 104 रीटेक लिए थे. सीन को परफेक्ट बनाने के लिए वो शाम 5 बजे से राज 12 बजे तक काम करते रहे थे.


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