US Default Threat: अब तक आपने श्रीलंका, पाकिस्तान के कर्ज के डिफॉल्ट करने के बारे में सुना होगा. लेकिन क्या आप जानते हैं दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका भी कर्ज का भुगतान करने में डिफॉल्ट कर सकती है. ये कहना है अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) का जिसने ये चेतावनी दी है. आईएमएफ का कहना है कि अमेरिका अपने कर्ज को चुकाने में डिफॉल्ट करता है तो इसका असर केवल अमेरिका पर  ही नहीं बल्कि इसका खामियाजा पूरी वैश्विक अर्थव्यवस्था को उठाना पड़ सकता है.  


आईएमएफ के कम्यूनिकेशन डायरेक्टर जूली कोजैक ने सभी पक्षों से जल्द से जल्द इसका समाधान निकालने की अपील करते हुए कहा कि हमारा अनुमान है कि अमेरिका के डेट डिफॉल्ट करने पर इसका बुरा नतीजा ना केवल अमेरिका पर बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी भुगतना पड़ सकता है. 


दरअसल अमेरिका में रिपब्लिकन और डेमोक्रैट्स कर्ज के स्तर को लेकर बंटे हुए हैं. अमेरिकी कांग्रेस में रिपब्लिकन की मांग है कि राष्ट्रपति जो बाइडेन प्रशासन कर्ज की लिमिट बढ़ाने के एवज में बजट में कटौती पर सहमत हो. ऐसा नहीं हुआ तो अमेरिका पर डेट संकट गहरा सकता है. डेमोक्रैट्स चाहते हैं कि कर्ज की सीलिंग को बढ़ाया जाए. वे रिपब्लिकन पर अपना राजनीतिक एजेंडा को आगे बढ़ाने का आरोप लगा रहे हैं.  


आईएमएफ ने आगाह करते हुए कहा कि डिफॉल्ट करने पर उधार लेना महंगा तो होगा ही साथ वैश्विक अस्थिरता से लेकर और दूसरे आर्थिक असर भी देखने को मिल सकता है. जूली कोजैक ने कहा कि बीते कुछ वर्षों में दुनिया ने कई झटकों का सामना किया है. ऐसे में अमेरिका के डिफॉल्ट करने की किसी भी संभावना को टाला जाना चाहिए. 


संसद के जरिए कर्ज लेने की सीमा को बढ़ाना हमेशा से होता रहा है. कांग्रेस के लिए अपने खर्च प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए ये जरुरी होता जिससे वो अपने दायित्यवों को पूरा कर सके. इसके लिए संसद से पहले ही मंजूरी ले ली जाती है.  लेकिन जब रिपब्लिकन ने पिछले साल के मध्यावधि चुनाव के दौरान प्रतिनिधि सभा में छोटे बहुमत से जीत हासिल की, तो कॉकस के दक्षिणपंथियों ने केविन मैककार्थी को उनके समर्थन के बदले में अमेरिका पर बढ़ते कर्ज से निपटने का दबाव डाला. 


बाइडेन प्रशासन ने कर्ज की सीमा पर बातचीत करने से इनकार कर दिया. जिसके बाद टकराव के हालात पैदा हो गए हैं. इससे लोगों के मन में ये डर समा गया है कि अमेरिका अपने कर्ज के भुगतान करने के दायित्वों को पूरा कर पाएगा कि नहीं. हालांकि माना जा रहा है कि बातचीत के जरिए इस गतिरोध को दूर करने की कोशिश की जाएगी. 


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