Neem Karoli Baba, Bulletproof Blanket Story in Hindi: नीम करोली बाबा को इस युग का सबसे महान संत माना जाता है. बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था. नीम करोली बाबा हनुमानजी के परम भक्त थे लेकिन उनके भक्त उन्हें हनुमान जी का अवतार मानते थे.


नीम करोली बाबा के जीवन से जुड़े कई चमत्कारी किस्से सुनने को मिलते हैं, जिसे लेकर बाबा देश-विदेश तक खूब प्रसिद्ध हैं. इतना ही बाबा के चमत्कारी किस्सों पर किताब भी लिखी गई है, जिसका नाम है ’मिरेकल ऑफ लव’ (Miracle of Love). इस किताब में बाबा के चमत्कारों के कई किस्से बताए गए हैं. इस किताब में बाबा के 'बुलेटप्रूफ कंबल' (Bulletproof Blanket) से जुड़ी एक घटना का भी जिक्र मिलता है.



नीम करोली बाबा के बुलेटप्रूफ कंबल की कहानी (Neem Karoli Baba Story in Hindi)


नीम करोली बाबा हमेशा ही कंबल ओढ़ा करते थे. रिचर्ड एलपर्ट (रामदास) ने अपनी किताब ‘मिरेकल ऑफ लव’ पर बुलेटप्रूफ कंबल से जुड़ी घटना का जिक्र किया है. रिचर्ड एलपर्ट ने बताया कि, बाबा के कई भक्तों में एक बुजुर्ग दंपति भी थे, जोकि फतेहगढ़ में रहते थे. बाबा के चमत्कारी कंबल की यह घटना 1943 से जुड़ी है.


एक दिन बाबा (Neem Karoli Baba) अचानक बुजुर्ग दंपति के घर पर पहुंच गए. इसके बाद बाबा ने कहा कि वह रात में यहीं रुकेंगे. बाबा की बात सुनकर बुजुर्ग दंपति भक्त को बहुत खुशी हुई. लेकिन बुजुर्ग दंपति गरीब थे और वे सोचने लगे कि अगर बाबा रुके तो सत्कार और सेवा के लिए उनके पास कुछ नहीं है. दंपति के पास उस समय जो कुछ भी पर्याप्त था, उन्होंने उस समय बाबा को दिया और उनका सत्कार किया. भोजन के बाद उन्होंने बाबा को सोने के लिए एक चारपाई और ओढ़ने के लिए कंबल दी, जिसे ओढ़कर बाबा सो गए.


इसके बाद बुजुर्ग दंपत्ति भी बाबा के चारपाई के पास ही सो गए. बाबा कंबल ओढ़कर सो रहे थे और ऐसे कराह रहे थे जैसे उन्हें कोई मार रहा है. दंपति सोचने लगे कि बाबा को आखिर क्या हो गया. जैसे-तैसे रात बीती और सुबह हो गई. बाबा ने सुबह चादर लपेटकर बजुर्ग दंपति को दे दी और कहा कि इसे गंगा में प्रवाहित कर देना. लेकिन इसे खोलकर नहीं देखना वरना मुसीबत में फंस सकते हो. बाबा ने यह भी कहा कि, आप चिंता न करें आपका बेटा महीने भर के भीतर लौट आएगा. दंपति भी बाबा की कही बातों का पालन करते चादर को गंगा में प्रवाहित करने के लिए ले जा रहे थे.


चादर लेकर जाते समय दंपति को ऐसा महसूस किया हुआ कि चादर में कुछ लोहे जैसा सामान है. लेकिन बाबा ने तो खाली चादर दी थी. बाबा ने चादर खोलने को मना किया था. इसलिए दंपति ने बिना उसे खोले वैसे ही नदी में प्रवाहित कर दिया. बाबा के कहेनुसार एक महीने बाद बुजुर्ग दंपति का बेटा भी बर्मा फ्रंट से घर लौट आया. यह दंपति का इकलौता बेटा था, जोकि ब्रिटिश फौज में सैनिक था और दूसरे विश्वयुद्ध के समय बर्मा फ्रंट पर तैनात था. बेटे को घर पर देख बुजुर्ग दंपति की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. लेकिन बेटे ने अपने माता-पिता को ऐसी घटना के बारे में बताया, जिसे सुनकर वो हैरान रह गए. 


बेटे ने कहा कि, लगभग महीने भर पहले एक दिन वह दुश्मन फौजों के बीच घिर गया और रातभर गोलीबारी होती रही. इस युद्ध में उसके सारे साथी भी मारे गए लेकिन वह अकेला बच गया. बेटे ने कहा कि मैं कैसे बच गया यह मुझे भी मालूम नहीं. उसने कहा कि उसपर खूब गोलीबारी हुई लेकिन एक भी गोली उसे नहीं लगी.


रातभर वह जापानी दुश्मनों के बीच लड़ता रहा और जीवित बच गया. इसके बाद सुबह ब्रिटिश फौज की और टुकड़ी आई. दरअसल यह वही रात थी, जिस रात नीम करोली बाबा (Neem Karoli Baba) बुजुर्ग दंपति के घर आए और रुके थे. बुजुर्ग दंपति की आंखे भर आई कि उनका बेटा सकुशल घर वापस आ गया. साथ ही दंपति बाबा के चमत्कार को भी समझ गए थे. यही कारण है कि अपनी किताब ‘मिरेकल ऑफ लव’ में रिचर्ड एलपर्ट ने इस कंबल को बुलेटप्रूफ कंबल कहा है. आज भी कैंची धाम स्थित मंदिर (neem karoli baba ashram kainchi dham) में बाबा के भक्त कंबल चढ़ाते हैं. बाबा खुद भी हमेशा कंबल ओढ़ा करते थे.


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