कोरोना काल में जब लोगों की जिंदगी और सेहत दोनों ही खतरे में हैं तो हर कोई बीमा के लिए लालायित दिखता है. इसके अलावा कई लोग इसे आयकर से बचने के लिए रास्ता मानते हैं तो कुछ भविष्य की सेविंग. इसके बावजूद इनमें शामिल हुए टर्म इंश्योरेंस जैसे फॉर्मेट की इन दिनों काफी डिमांड है. इसमें न सिर्फ कई गुना अधिक रिस्क कवर मिलता है बल्कि सामान्य बीमा प्रीमियम से आधे से भी कम खर्च में काम हो जाता है. मगर इस लाभ के लिए जरूरी है सही उम्र में इंश्योरेंस का चुनाव. आइए जानते हैं कि बीमा के लिए सही उम्र, पॉलिसी, प्रीमियम और कंपनी का चुनाव कैसे करना चाहिए.


आसान भाषा में कहें तो बीमा आपकी मृत्यु, शारीरिक नुकसान आदि की दशा में परिवार या आपको मिलने वाली वह रकम है, जिसे आप वर्षों तक कंपनी को किस्त के तौर पर अदा करते आए हैं. यह दो तरीका का हो सकता है एक नॉर्मल इंश्योरेंस और दूसरा टर्म इंश्योंरेस. टर्म इंश्योरेंस में प्रीमियम के तौर पर भरी गई रकम आप सिर्फ कैजुअलिटी या शर्तों के मुताबिक कुछ प्लानंस में दिव्यांगता पर क्लेम कर सकते हैं, लेकिन इसकी सबसे बड़ी खूबी है इसका कवर, जो प्रीमियम के तौर पर भरी गई रकम का कई गुना होती है.


कब और कैसे लें टर्म इंश्योरेंस
एक्सपर्ट बताते हैं कि टर्म इंश्योरेंस जितनी जल्दी हो सके ले लेना चाहिए, इससे न सिर्फ प्रीमियम राशि कम रहती है बल्कि कवर भी सुविधाजनक होता है. ऐसे में 26 साल की उम्र तक टर्म इंश्योरेंस लेना फायदेमंद होगा, जिसमें महीने का प्रीमियम 600 से 1200 रुपये प्रति माह हो सकता है. इसे आप प्रति साल रिन्यू करवा सकते हैं या लंबे समय के लिए भी ले सकते हैं. टर्म इंश्यारेंस आपकी कमाई का 25 गुना अधिक मिल सकता है, यानी अगर आप की सालाना कमाई पांच लाख रुपये है तो आपको आसानी से एक करोड़ रुपये का टर्म इंश्योरेंस मिल सकता है.


कैसे चुने कंपनी
दो बड़े बिन्दुओं के आधार पर उपभोक्ता को कंपनी का चुनाव करना चाहिए. सबसे पहले क्लेम सेटलमेंट रेट (सीएसआर) यानी कंपनी ने कितने फीसदी क्लेम पास किए. दूसरा अमाउंट सेटलमेंट रेट (एएसआर) यानी उस कंपनी ने क्लेम में कितनी रकम चुकाई. इस आधार पर आप आईआरडीए की साइट पर उपलब्ध कंपनियों की जानकारी हासिल कर अपने लिए बेहतर प्लान चुन सकते हैं.


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