Health Insurance Claim: बीमारियों में होने वाले खर्च की चिंता को दूर करने के लिए हेल्थ इंश्योरेंस को एक शानदार विकल्प के रूप में माना जाता है. अचानक बीमारी की स्थिति में हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी बहुत काम आती है, लेकिन कई बार यह भी देखा गया है कि सालों तक प्रीमियम चुकाने के बाद भी बीमा कंपनियां ग्राहकों के क्लेम को रिजेक्ट कर देती हैं. ऐसे में पॉलिसी होल्डर के लिए यह किसी झटके से कम नहीं होता है. अगर आपके साथ भी ऐसा कुछ हुआ है, तो हम आपको बताते हैं कि आपके पास कौन-कौन से अधिकार होते हैं. हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट होने की स्थिति में आप क्या कर सकते हैं.


हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट होने पर क्या कर सकते आप?


इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं. आमतौर पर बीमा कंपनी ग्राहकों को क्लेम रिजेक्ट होने के पीछे के कारण को बता देती है. गलत जानकारी देना या पिछले बीमारी के बारे में सही जानकारी न देना इसके मुख्य कारण हो सकते हैं. वहीं अगर आप कंपनी की दलील से असंतुष्ट हैं तो ऐसी स्थिति में आप कंपनी के Grievance Redressal Officer (GRO) से इस बारे में शिकायत कर सकते हैं. इसके बाद ग्राहकों के पास लोकपाल से संपर्क का विकल्प भी मौजूद है. ध्यान देने वाली बात ये है कि अगर बीमा कंपनी इंश्योरेंस राशि के भीतर के क्लेम को रिजेक्ट करती है तो ऐसे में पॉलिसी होल्डर सबसे कंपनी के पास अपनी शिकायत दर्ज कराए. इसके बाद उसके पास लोकपाल और कंज्यूमर कोर्ट में भी शिकायत दर्ज करने का विकल्प मौजूद होता है.


IRDAI में भी कर सकते हैं शिकायत


बीमा नियामक IRDAI ने ग्राहकों की हेल्थ इंश्योरेंस से संबंधित शिकायतों के निपटारे के लिए फ्री नंबर 155255 या 1800 4254 732 नंबर जारी किया है. इसके अलावा आप @irdai.gov.in पर ईमेल भेजकर भी मामले का निपटारा कर सकते हैं. इसके अलावा आप ऑनलाइन IRDAI के एकीकृत शिकायत पोर्टल पर जाकर भी अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं. ध्यान रखें कि अगर ग्राहक सीधे बीमा कंपनी से अपनी शिकायत दर्ज नहीं करवा पा रहा है तो ऐसी स्थिति में IRDAI का शिकायत पोर्टल उन्हें कंपनियों तक शिकायत पहुंचाने के लिए एक चैनल प्रदान करता है.


कहां पहले करें अपील


एक्सपर्ट्स के मुताबिक बीमा कंपनी से शिकायत दर्ज कराने के बाद और सुनवाई न होने की स्थिति में ग्राहक लोकपाल या कंज्यूमर कोर्ट में से कहीं भी जा सकता है, मगर एक्सपर्ट लोकपाल के पास पहले जाने को बेहतर मानते हैं. इससे आपके सुनवाई तेजी से हो सकती है और मामले का निपटारा जल्द हो सकता है. आमतौर पर ऐसे मामलों में लोकपाल में जल्द सुनवाई होती है. वहीं अगर लोकपाल का फैसला बीमाधारक के पक्ष में नहीं रहता है तो ऐसे में आपके पास कंज्यूमर कोर्ट जाने का विकल्प भी मौजूद है. 


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