विदेशी निवेशकों के लिए डेरिवेटिव सेगमेंट में निवेश करना अब आसान हो गया है. इसके लिए रिजर्व बैंक ने फेमा नियमों (फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट) में बदलाव किया है.


रिजर्व बैंक ने इस संबंध में दो नोटिफिकेशन जारी किया है. पहला नोटिफिकेशन अथॉराइज्ड डीलरों के लिए परमिशन के दायरे में विस्तार करने को लेकर है. इसके अनुसार, अथॉराइज्ड डीलर अब भारत से बाहर रहने वाले किसी व्यक्ति के साथ मंजूरी प्राप्त डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट के लिए भारत में या भारत से बाहर मार्जिन पोस्ट व कलेक्ट कर सकते हैं.


इन सौदों पर भी लागू है बदलाव


ऐसे अथॉराइज्ड डीलर देश से बाहर निवास करने वाले व्यक्ति के साथ मंजूरी प्राप्त डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट के मार्जिन पर ब्याज भी पा सकते हैं या उसका भुगतान कर सकते हैं. आरबीआई के अनुसार, ये बदलाव दो अथॉराइज्ड डीलरों के बीच होने वाले डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट पर भी लागू होंगे, बशर्ते उनमें से एक किसी विदेशी बैंक की शाखा हो.


ऐसे कर पाएंगे डेरिवेटिव लेन-देन


इसी तरह का एक बदलाव बैंकों की विदेशी शाखाओं या अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों में स्थित बैंकिंग यूनिट के जरिए होने वाले डेरिवेटिव लेनदेन के लिए भी किया गया है. इसके बाद अथॉराइज्ड डीलर अब किसी विदेशी निकाय के साथ डेरिवेटिव में लेन-देन कर रहे अपने ग्राहक के लिए भारत में या भारत से बाहर मार्जिन को पोस्ट व कलेक्ट कर सकते हैं.


निवेशकों के लिए ये काम आसान


रिजर्व बैंक के द्वारा किए गए ये बदलाव विदेशी निवेशकों के लिए डेरिवेटिव सेगमेंट में निवेश करना और डेरिवेटिव सौदों में लेन-देन करना आसान बना देते हैं. बदलाव के बाद विदेशी निवेशकों के लिए भारत में और भारत से बाहर किए गए दोनों तरह के सौदों में मार्जिन पाना आसान हो गया है.


विदेश में ऐसे खुलवा सकते हैं खाता


सेंट्रल बैंक ने अलग से एक नोटिफिकेशन में बताया कि अब भारत में रहने वाला कोई अथॉराइज्ड डीलर देश से बाहर किसी व्यक्ति के जरिए परमिटेड डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट पर मार्जिन पोस्ट व कलेक्ट करने के लिए स्पेशल अकाउंट खुलवा सकता है. ये इंटेरेस्ट बीयरिंग अकाउंट भारतीय रुपये या विदेशी मुद्रा में खुलवाए जा सकते हैं. ब्याज का लेन-देन इस अकाउंट से किया जा सकता है. भारत में रहने वाले निवेशकों के लिए ऐसे अकाउंट को किसी विदेशी निकाय के जरिए खुलवाना, होल्ड कराना और मेंटेन कराना संभव हो गया है.


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