Fitch Ratings: फिच रेटिंग्स ने सोमवार को भारतीय बैंकों के प्रदर्शन को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें बैंकों की ऐसेट क्वालिटी से लेकर उनके जोखिम लेने की क्षमता पर आकलन दिया है. फिच रेटिंग्स ने कहा है कि बेहतर वित्तीय प्रदर्शन के बावजूद हाई लोन ग्रोथ के जरिए भारतीय बैंकों की जोखिम उठाने की क्षमता उनकी साख के लिए एक महत्वपूर्ण कारक बनी रहेगी. 


रिटेल लोन की विकास दर अच्छी गति से बढ़ी


फिच का अनुमान है कि रिटेल लोन या कस्टमर्स को दिए गए डायरेक्ट लोन जो सभी बैंक लोन का लगभग 10 फीसदी है. साल 2020-21 के बाद से 20 फीसदी की सालाना दर से बढ़े हैं. एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि पिछले लोन साइकिल से ऐसेट क्वालिटी का दबाव कम हो रहा है. इसकी मदद से अनुकूल कारोबारी माहौल बन रहा है और इससे बैंकों की क्षमता और बढ़ोतरी की चाह बढ़ी है.


बड़े प्राइवेट बैंक कुछ पिछड़े हैं


वित्त वर्ष 2023-24 में बैंक लोन में वित्त वर्ष 2022-23 की तरह ही 16 फीसदी का इजाफा देखा गया. यह वित्त वर्ष 2014-15 और 2021-22 की तुलना में आठ फीसदी सीएजीआर (कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट) से ज्यादा है. एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट ‘बेहतर प्रदर्शन के बावजूद भारतीय बैंकों की व्यवहार्यता रेटिंग पर जोखिम लेने की क्षमता का असर’ में कहा कि बड़े प्राइवेट बैंकों ने पिछले लोन साइकिल में महत्वपूर्ण बाजार हिस्सेदारी हासिल की और तेजी से बढ़ना जारी रखा. सरकारी बैंक भी तेजी से विकास की राह पर लौट आए लेकिन बड़े प्राइवेट बैंक पिछड़ गए है. 


भारत के बैंकों में घरेलू कर्ज दुनिया में सबसे कम


फिच ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में 38 फीसदी से बढ़कर जीडीपी का करीब 40 फीसदी होने के बावजूद भारत का घरेलू डेट दुनिया में सबसे कम है. एजेंसी ने कहा कि भले ही सेफ लोन बैंकों की लोन बुक पर हावी हैं लेकिन रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) घरेलू बचत दर में गिरावट, प्रारंभिक चूक, हर एक लोन लेने वाले की हाई डेट और कंज्यूमर डेट में बढ़ोतरी होने के बारे में चिंता जताई है.


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