Tax on middle class: 1 फरवरी, 2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में आम बजट पेश करेंगी. इससे लोगों को टैक्स से राहत मिलने की काफी उम्मीद है. देश के नागरिकों को उम्मीद है कि पिछले साल शेयर बाजार में आए उछाल के बाद कैपिटल गेन टैक या पूंजीगत लाभ सहित कई अन्य टैक्स बढ़ा दिए गए थे. अब जब शेयर बाजार में गिरावट का दौर जारी है, तो लोगों को आस है कि वित्त मंत्री कुछ राहत की भी पेशकश करेंगी. 

वेंकटेश ने वित्त मंत्रालय को सुनाई खरी-खोटी

इस बीच वेंकटेश अल्ला नाम के एक व्यक्ति ने सोशल मीडिया पर बढ़े हुए टैक्स पर अपना दुख बांटते हुए एक रसीद की कॉपी शेयर की, जिसमें एक कार की खरीद पर 48 परसेंट तक टैक्स लगने का खुलासा हुआ. वेंकटेश ने वित्त मंत्रालय को अपने पोस्ट में टैग करते हुए लिखा,  ''यह क्या है? दिनदहाड़े इस लूट की कोई सीमा नहीं है. आपकी अक्षमता और अकुशलता देश को पीछे ले जा रही है. यह बेहद शर्मनाक है!'' 

टैक्स के बोझ तले दबा आम आदमी

आम आदमी पर टैक्स के बढ़ते दबाव का जिक्र करते हुए वेंकटेश ने यह भी लिखा कि ''आज 1,000 रुपये कमाने वाला 340 रुपये का टैक्स भर रहा है. 

बाकी जितना बचा है उसमें से - 

200 रुपये की पेट्रोल की खरीद पर 110 रुपये का टैक्स लगता है.शिक्षा पर खर्च किए गए 200 रुपये पर 36 जीएसटी लगता है. बीमा पर खर्च किए गए 100 रुपये पर 18 रुपये 18 जीएसटी लगता है. किताबों और स्टेशनरी पर खर्च किए गए 100 रुपये पर 18 रुपये जीएसटी लगता है. 100 रुपये की सेविंग्स और 50 रुपये इंटरेस्ट पर पूंजीगत लाभ कर के रूप में 10 रुपये का भुगतान करना पड़ता है. 

बचा क्या फिर ? सिर्फ 300- जिसमें से टोल फीस, हॉस्पिटल बिल (जीएसटी के साथ), किराया, किराने का सामान और एंटरटेनमेंट जैसी चीजों पर अभी खर्च बाकी है. हमारी आय का 50 परसेंट से ज्यादा हिस्सा सरकार निगल जाती है. बदले में हमें क्या मिलता है? खराब एयर क्वॉलिटी, गड्ढों से भरी सड़कें, बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार, सुस्त न्यायपालिका, ढहता सार्वजनिक बुनियादी ढांचा और बढ़ती महंगाई.'' 

वेंकटेश ने टैक्स टेररिज्म का उठाया मुद्दा

वेंकटेश ने पॉलिसी मेकर्स की भी अपने पोस्ट में आलोचना की है. वह लिखते हैं, टैक्सटेररिज्म भारत के भविष्य के लिए खतरनाक है. ये अशिक्षित और अक्षम राजनेता इसे नहीं समझते. न ही वे लोग जो अपना वोट बेचते हैं. 

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