Indian Economy: वैश्विक अस्थिरता और भारतीय अर्थव्यवस्था पर उसके दुष्प्रभावों के चलते मौजूदा वित्त वर्ष 2022-23 में देश के आर्थिक विकास दर में गिरावट आ सकती है. बिजनेस चैंबर फिक्की ने इकोनॉमिक आउटलुक सर्वे पेश किया है जिसमें आर्थिक विकास दर 7 फीसदी रहने का अनुमान जताया गया है. फिक्की ने अप्रैल 2022 किए गए सर्वे में 7.4 फीसदी जीडीपी रहने का अनुमान जताया था.  
 
अर्थव्यवस्था की रिकवरी में देरी संभव
फिक्की ने जून 2022 में ये सर्वे कराया है जिसमें जाने माने अर्थशास्त्री जो उद्योगजगत का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं उनसे बात की है साथ ही बैंकिंग और फाइनैंशिएल सेक्टर से जुड़े जानकारों से मिले रेस्पांस के आधार पर ये आउटलुक तैयार किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बढ़ती महंगाई और फाइनैंशिएल मार्केट में अस्थिरता का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ा है जिससे रिकवरी में देरी हो सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक कमोडिटी की बढ़ती कीमतें, सप्लाई में दिक्कतें और यूरोप ( रूस और यूक्रेन) में तनाव के लंबे खींचने के चलते वैश्विक ग्रोथ पर असर पड़ा है. चीनी अर्थव्यवस्था के स्लोडाउन का असर भी इंडियन इकोनमी पर पड़ा है. इनपुट कॉस्ट यानि लागत में बढ़ोतरी के चलते लोग खर्च कम कर रहे हैं. 


कर्ज हो सकता है महंगा 
फिक्की के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई दर 6.7 फीसदी रहने का अनुमान है. हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि 2022-23 के अंत तक रेपो रेट बढ़कर 5.65 फीसदी तक जा सकता है. जो कि मौजूदा 4.90 फीसदी के लेवल से 75 बेसिस प्वाइंट ज्यादा है. यानि रेपो रेट में और बढ़ोतरी हुई तो कर्ज और महंगा हो सकता है. इसके चलते लोगों की ईएमआई महंगी हो सकती है. 


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