प्रतिकूल परिस्थितियां कभी बताकर नहीं आती हैं और कई बार ऐसा होता है कि आपकी सारी तैयारियां अपर्याप्त साबित हो जाती हैं. ऐसे में लोग कर्ज लेकर संकट से निकलने का प्रयास करते हैं. उसके बाद भी ऐसा होता है कि चीजें समय से ठीक नहीं हो पाती हैं और लोग कर्ज की किस्तें नहीं भर पाते हैं. ऐसे में एक तरफ उनके ऊपर डिफॉल्टर का टैग लग जाता है, साथ ही वे रिकवरी एजेंटों के उत्पीड़न के शिकार बन जाते हैं.


हालांकि किसी भी कर्ज के मामले में डिफॉल्ट हो जाने के बाद भी कर्जदार के पास कई सारे विकल्प होते हैं, जिनकी मदद से वे रिकवरी एजेंटों के उत्पीड़न से बच सकते हैं. अगर आपके साथ भी ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति उत्पन्न हो गई है और आपको रिकवरी एजेंट परेशान कर रहे हैं तो आज हम आपको इस आर्टिकल में बताने जा रहे हैं कि अब आपके पास क्या उपाय बचे हैं...


बढ़ रहे हैं इन मामलों में डिफॉल्ट


आगे बढ़ने से पहले आपको कुछ आंकड़े बता देते हैं. आंकड़े बता रहे हैं कि रिटेल अनसिक्योर्ड लोन के मामले में रिस्क तेजी से बढ़े हैं. क्रेडिट कार्ड और पर्सनल लोन आदि रिटेल अनसिक्योर्ड लोन की कैटेगरी में आते हैं. कोविड के बाद क्रेडिट कार्ड के पेमेंट और पर्सनल लोन की किस्तों के भुगतान में चूक के मामले बढ़े हैं. इसके साथ ही क्रेडिट कार्ड से लोगों का खर्च तेजी से बढ़ा है.


क्रेडिट कार्ड का सावधानी से इस्तेमाल


लोगों को कर्ज के जाल में धकेलने में सबसे ज्यादा क्रेडिट कार्ड के ही जिम्मेदार होने के मामले होते हैं. दरअसल फाइनेंशियल एक्सपर्ट हमेशा सलाह देते हैं कि क्रेडिट कार्ड सिर्फ तभी ठीक है, जब आप होशियारी से उसका इस्तेमाल करते हैं. अगर आप कमाई से ज्यादा खर्च करेंगे तो कर्ज के जाल में फंसना तय है. क्रेडिट कार्डएक तरफ बिना ब्याज के लिए 45 दिन तक फंड तो मुहैया कराते हैं, लेकिन चूक होने के बाद 36 से 48 फीसदी तक भारी-भरकम ब्याज भी वसूल करते हैं.


बड़े काम के हैं ये 5 मंत्र



  • अगर आपके सामने भी ऐसी स्थिति आ गई है तो सबसे पहले अपने खर्च को नियंत्रित रखें.

  • आपका खर्च कभी भी आपकी इन हैंड सैलरी के 70 फीसदी से ज्यादा नहीं होना चाहिए.

  • क्रेडिट कार्ड या लोन प्रोवाइडर से बात करें और अपनी परिस्थितियों से बैंक को अवगत कराएं.

  • बैंक आपको आउटस्टैंडिंग को सेटल करने का विकल्प देंगे. इससे आप कर्ज के जाल से मुक्त हो सकते हैं.

  • इस काम में क्रेडिट काउंसलिंग प्लेटफॉर्म आपकी मदद कर सकते हैं. अभी कई ऐसे प्लेटफॉर्म काम कर रहे हैं.


आपके पास है ये कानूनी विकल्प


रही बात लोन रिकवरी एजेंटों के टॉर्चर की, तो आपको उससे घबराने की कोई जरूरत नहीं है. भारत का कानून आपकी सुरक्षा के लिए है और कानून कहता है कि लोन रिकवरी एजेंट आपको परेशान नहीं कर सकते हैं. वे एजेंट आपको असमय कॉल भी नहीं कर सकते हैं और न ही किसी तरह की जोर-जबरदस्ती करने की इजाजत उन्हें है. अगर रिकवरी एजेंट आपको असमय फोन कर रहे हैं, फोन पर बदतमीजी कर रहे हैं या घर आकर परेशान कर रहे हैं तो आप संबंधित बैंक में इसकी शिकायत कर सकते हैं. आप लोकल पुलिस स्टेशन में भी शिकायत कर सकते हैं. ध्यान रखें कि संसद के मौजूदा मॉनसून सत्र में खुद वित्त मंत्री ने इस बारे में साफ-साफ कहा है कि रिकवरी एजेंट कभी भी कर्ज वसूली करने के लिए कर्जदार/डिफॉल्टर के साथ ज्यादती नहीं कर सकते हैं.


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