Morgan Stanley On Rate Hike: वैश्विक राजनीतिक संकट के चलते कच्चे तेल के दामों में अगर उबाल आया और ये 110 डॉलर प्रति बैरल के पार गया तो इससे भारत के आर्थिक स्थिरता को झटका लग सकता है जिसके बाद बैंकिंग सेक्टर के रेग्यूलेटर भारतीय रिजर्व बैंक को अपने पॉलिसी रेट्स को बढ़ाना पड़ सकता है जिससे ब्याज दरें महंगी हो सकती है. मॉर्गन स्टैनली ने अपने एक नोट में ये बातें कही है. 


चेतन आहया के नेतृत्व में मॉर्गन स्टैनली के अर्थशास्त्रियों ने एक नोट में लिखा कि तेल के खपत के मामले में भारत दुनिया का तीसरा बड़ा देश है. अगर कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आती है तो पूरे एशिया में इसका सबसे बड़ा असर भारत पर पड़ सकता है. नोट में कहा गया कि 10 डॉलर प्रति बैरल अगर कच्चे तेल के दामों में इजाफा आया तो इससे महंगाई दर में 50 बेसिस प्वाइंट का इजाफा देखने को मिल सकता है तो साथ ही चालू खाते के घाटे में 30 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी आ सकती है. 


नोट के मुताबिक कच्चे तेल के दामों के 110 डॉलर प्रति बैरल ऊपर जाने पर भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिरता को झटका लग सकता है. पेट्रोल डीजल जैसे ईंधन के दामों में उछाल आ सकता है तो महंगाई में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. करंट अकाउंट डिफसिट यानि चालू खाते का घाटा भी जीडीपी के 2.5 फीसदी से ऊपर रह सकता है. 


मॉर्गन स्टैनली के नोट के मुताबिक कच्चे तेल के लिए बेस केस 95 डॉलर प्रति बैरल है और इस लेवल पर इसके बने रहने से अर्थव्यवस्था में चीजें अपने अनुकूल बनी रहेंगी. लेकिन ऐसी परिस्थिति होने पर आरबीआई की ओर से ब्याज दरों में किसी भी प्रकार की कटौती के फैसले में देरी हो सकती है. 


4 मई, 2022 को आरबीआई ने पहली बार पॉलिसी रेट्स को बढ़ाने का सिलसिला शुरू किया और फरवरी 2023 तक छह बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की गई और इसे 4 फीसदी से बढ़ाकर 6.50 फीसदी कर दिया गया. सितंबर 2023 में खुदरा महंगाई दर 5 फीसदी के करीब आ चुकी है. लेकिन आरबीआई इसे 4 फीसदी पर देखना चाहती है उसके बाद ही ब्याज दरों में कटौती के कोई आसार बनेंगे.      


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