भारत सरकार ने एमएसएमई और स्टार्टअप सेक्टर की मदद करने के लिए नियमों में कुछ बदलाव किया है. जिन नियमों में बदलाव किए गए हैं, वे विलय एवं अधिग्रहण से संबंधित हैं. इसके बाद अब एमएसएमई और स्टार्टअप को ऐसे सौदों के लिए मंजूरी मिलने में कम समय लगेगा. बदले हुए नियम 15 जून से लागू होने वाले हैं.


ज्यादा से ज्यादा लगेगा इतना समय


कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने एक मंगलवार का एक नोटिफिकेशन में बदलाव की जानकारी दी. नोटिफिकेशन के अनुसार, विलय एवं अधिग्रहण की प्रक्रिया को आसान व सरल बनाने के लिए इनकी मंजूरी से जुड़े नियमों को बदला गया है. अब एमएसएमई और स्टार्टअप को विलय एवं अधिग्रहण के सौदों के लिए 15 दिनों में मंजूरी मिल सकती है. वहीं मंजूरी मिलने में ज्यादा से ज्यादा 60 दिनों का समय लग सकता है.


यहां होगा बदलाव का फायदा


एमएसएमई और स्टार्टअप के लिए विलय एवं अधिग्रहण के सौदों की मंजूरी में लगने वाले समय को कम करने के इस कदम को कारोबार सुगम बनाने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है. पिछले कुछ सालों के दौरान स्टार्टअप और एमएसएमई के मामलों में विलय एवं अधिग्रहण के सौदों में तेजी आई है. अगर इन सौदों को मंजूरी मिलने में कम समय लगता है, तो और तेजी से ऐसे सौदे पूरे हो सकते हैं.


इन मामलों में स्वत: मिलेगी मंजूरी


कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने कहा है कि विलय या अधिग्रहण के प्रस्तावों को या तो अधिकतम 60 दिनों में मंजूरी देनी होगी, या फिर अगर प्रस्ताव पर कोई आपत्ति होगी तो उसे संबंधित प्राधिकरण के समक्ष रखना होगा. अगर दोनों में से कुछ नहीं किया गया तो संबंधित सौदे को स्वत: मंजूरी मिल जाएगी यानी ऐसा मान लिया जाएगा कि उस प्रस्ताव को मंजूरी मिल गई है.


अभी नहीं है कोई समयसीमा


नोटिफिकेशन में कहा गया है कि अगर रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज और ऑफिशियल लिक्विडेटर्स 30 दिनों के भीतर आपत्ति नहीं करते हैं तो सौदों को 15 दिनों में मंजूरी किया जा सकता है. वहीं अगर विलय या अधिग्रहण का प्रस्ताव आम लोगों अथवा कंपनी के कर्जदाताओं के हित में हुआ तो प्रस्ताव मिलने के 15 दिनों के भीतर उसे मंजूरी दी जा सकती है. अभी की बात करें तो विलय व अधिग्रहण के सौदों के प्रस्तावों को मंजूरी देने के लिए कोई तय समयसीमा नहीं है.


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